प्रधानमंत्री ने कुपोषण के खिलाफ व्यापक अभियान चलाने के लिए पूरे देश को प्रेरित किया: मुख्यमंत्री

  • मुख्यमंत्री ने 155 करोड़ रु0 की लागत से 1,359 आंगनबाड़ी केन्द्रों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया
  • कुपोषित से सुपोषित की श्रेणी में आये बच्चों के अभिभावकों को सम्मानित किया

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज लोक भवन में राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर 155 करोड़ रुपये की लागत से 1,359 आंगनबाड़ी केन्द्रों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।  इनमें 1,209 आंगनबाड़ी केन्द्रों का शिलान्यास तथा 150 आंगनबाड़ी केन्द्रों का लोकार्पण शामिल है। साथ ही 50 करोड़ रुपये की लागत से 171 बाल विकास परियोजना कार्यालयों का शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ने 2 लाख 90 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों एवं सहायिकाओं के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से यूनिफॉर्म (साड़ी) हेतु 29 करोड़ रुपये की धनराशि का अन्तरण भी किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 3 गर्भवती महिलाओं की गोदभराई तथा 3 बच्चों का अन्नप्राशन किया। उन्होंने सम्भव अभियान के तहत कुपोषित से सुपोषित की श्रेणी में आये बच्चों के अभिभावकों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों तथा सहायिकाओं को यूनिफॉर्म (साड़ी) वितरित की। इस अवसर पर राष्ट्रीय पोषण माह में आयोजित की जाने वाली गतिविधियों तथा तीव्र कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हेतु चलाये जा रहे सम्भव अभियान पर आधारित 2 लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। 

कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय पोषण अभियान एक स्वस्थ और समर्थ भारत की नींव रखता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुपोषण के खिलाफ व्यापक अभियान प्रारम्भ करने के लिए पूरे देश को प्रेरित किया है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पोषण माह अभियान को वर्ष 2018 में प्रारम्भ किया था। इस वर्ष यह राष्ट्रीय पोषण माह की 6वीं वर्षगांठ है। विगत 6 वर्षों में उत्तर प्रदेश में पोषण के क्षेत्र में किए गए कार्यों के अच्छे परिणाम आए हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश ने पोषण के क्षेत्र में लम्बी छलांग लगाई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के वर्ष 2015-16 स्वास्थ्य सम्बन्धी आंकड़ों की तुलना में वर्ष 2019-21 के आंकड़ों के अनुसार बच्चों में एनीमिया के स्तर में 5.1 प्रतिशत, स्टटिंग अर्थात बौनापन में 6.6 प्रतिशत, अल्पवजन में 7.4 प्रतिशत तथा सूखापन मंे 0.6 प्रतिशत का सुधार हुआ है। इसी प्रकार प्रदेश में किशोरी बालिकाओं में एनीमिया की स्थिति में राष्ट्रीय औसत की तुलना में अच्छा सुधार हुआ है। प्रदेश में शिशु मृत्यु दर तथा मातृत्व मृत्यु दर भी घटी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर आज महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किए गए हैं। कुपोषण का कारण समय से पर्याप्त आहार न मिलने, प्रदूषित जल का सेवन तथा प्रदूषित वातावरण है। इसके लिए स्थानीय परिस्थितियां भी उत्तरदाई होती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से 1 से 15 वर्ष आयु के हजारों बच्चों की मृत्यु होती थीं। प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार के साथ मिलकर तथा अन्तर्विभागीय समन्वय से कार्य किया। परिणामस्वरुप अब इंसेफेलाइटिस बीमारी प्रदेश से पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। इंसेफेलाइटिस के विरुद्ध अभियान देश के बचपन को बचाने और राष्ट्र के भविष्य को संवारने का अभिनव प्रयास था जिसमें प्रदेश को सफलता प्राप्त हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां बच्चों को अच्छे से प्रशिक्षित करतीं हैं। बच्चे आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों के मार्गदर्शन में जीवन की प्रारम्भिक पाठशाला में प्रशिक्षित होते हैं। उनके सुपोषण की व्यवस्था भी की जाती है। यह कुपोषण से बचाव के साथ ही, बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण होने वाली अन्य बीमारियों से बचाव का बेहतर प्रयास हो सकता है। प्रधानमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों के सम्बन्ध में कहा था कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां वही कार्य करती हैं, जो कभी यशोदा माँ ने किया था। यदि बच्चा सुपोषित और हृष्ट-पुष्ट है तो वह किसी भी बीमारी से लड़ सकता है। इसके लिए एक बड़ा दायित्व आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों पर है। यदि सुपोषित भारत, साक्षर भारत होगा, तो समर्थ और सशक्त भारत स्वयं ही बन जाएगा। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां भारत की नींव को मजबूत बनाने का कार्य कर रहीं हैं।

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