डॉ आरएमएल विधि विश्वविद्यालय में "रियल एस्टेट: मुद्दे और चुनौतिया" विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

  • रियल एस्टेट सेक्टर में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए एक्ट में दंडात्मक प्रावधान की ज़रूरत: तेज बहादुर सिंह 

  • दो पक्षों को संतुलित करने वाला कानून होता है तो कमियां होती हैं: प्रो सुबीर कुमार भटनागर

लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में शनिवार को "रियल एस्टेट: मुद्दे और चुनौतिया" विषय पे एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ संगोष्ठी के संयोजक प्रो मनीष सिंह व सह संयोजक डॉ आशीष श्रीवास्तव ने किया और विषय के बारे में विस्तार से बताया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तेज बहादुर सिंह सेवानिवृत्त न्यायिक सदस्य यूपी रेरा अपीलीय न्यायाधिकरण ने बताया कि रियल स्टेट क्षेत्र का विकास बहुत तेजी से हो रहा है, लेकिन इसमे अनियमिताए देखने को मिल रही हैं, जिसका का प्रमुख कारण धोखाधड़ी, उच्च लेनदेन लागत और काम मे देरी हैं जिसके कारण उपभोक्ताओं को परेशानी झेलनी पड़ती हैं। रियल एस्टेट सेक्टर में कंप्लीशन सर्टिफिकेट के संबंध में मुकदमेबाजी को कम करने के लिए एक्ट में दंडात्मक प्रावधान की ज़रूरत हैं। आखरी में उन्होंने छात्रों को बताया कि कानून को गणितीय समीकरण के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है बल्कि यह अनुभवों का एक संग्रह है ।

कुलपति प्रो सुबीर कुमार भटनागर ने बताया कि जब भी दो पक्षों को संतुलित करने वाला कानून होता है तो कमियां होती हैं। रियल एस्टेट कानूनों में कमियों को भरने की जरूरत है। रियल एस्टेट कानूनों में सुधारों और विनियमों के लिए विभिन्न सुझाव देने के लिए इस तरह के सम्मेलन बहुत आवश्यक हैं।

सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि एसएम सिंह रॉयकवार अधिवक्ता उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ, मुरली मनोहर श्रीवास्तव अधिवक्ता उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ और मनीष दीवान रियल एस्टेट सलाहकार यूपी-रेरा ने रियल एस्टेट क्षेत्र में उपभोक्ताओं और डेवलपर्स के सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों को सामने रखा। उन्होंने टाउनशिप का निर्माण करते समय डेवलपर्स के सामने आने वाली समस्याओं पर चर्चा की और खरीदारों के लिए सुझाव दिए। उनके अनुसार खरीदारों को ऋण मुक्त संपत्ति खरीदनी चाहिए या कम से कम भूमि ऋण मुक्त होनी चाहिए।

साथ ही एक टाउनशिप विकसित करने के लिए आवश्यक मंजूरी की संख्या कम की जानी चाहिए और सरकार को ऑनलाइन पंजीकरण, ऑनलाइन फाइलिंग, ऑनलाइन मंजूरी आदि पर ध्यान देना चाहिए। इसके बाद देश भर से आए छात्रों ने अपने पेपर प्रेजेंट किए।

कार्यक्रम के समापन में प्रदीप कुमार राय, लीगल एडवाइजर आरबीआई ने अल्बर्ट आइंस्टीन को कोट करते हुए कहा कि "एक व्यक्ति जिसने कभी गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की"। रेरा 2016 में बनाया गया एक नया विनियमन है, यह विनियमन की आलोचना करना उचित या न्यायोचित नहीं हो सकता है, इसके बजाय कार्यान्वयन की आलोचना की जा सकती है। वे आगे कहा कि जिस तरह ब्रह्मांड को सुचारू रूप से चलाने में हर कण महत्वपूर्ण है, उसी तरह रियल एस्टेट क्षेत्र में भी हर हितधारक को समान महत्व मिला है। 

कार्यक्रम में संयोजक प्रो मनीष सिंह, सह संयोजक डॉ आशीष श्रीवास्तव, प्रो एपी सिंह, डॉ अमनदीप सिंह, डॉ अपर्णा सिंह, डॉ मलय पांडेय, डॉ शकुंतला, प्रदीप कुमार, ज्योतिराज सिंह भदौरिया, आयुष वर्मा मौजूद रहे।

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