स्वामी अभयानंद ने गीता ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन आहार एवं यज्ञ की महिमा का किया वर्णन

लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान गोमतीनगर में स्वामी अभयानंद सरस्वतीजी महाराज वरिष्ठ महामंडलेश्वर पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने गीता ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन पर गीता के 17 में अध्याय के श्लोकों में वर्णित आहार की महिमा पर प्रकाश डाला। 

उन्होंने बताया कि आहार केवल भोजन नहीं होता अपितु हमारी पांचों इंद्रियों में जो बाहर से ग्रहण करती है उसी को आहार कहते हैं। हमारे भोजन की शुद्धि के लिए तीन तरह की शुद्धि होना आवश्यक है। 

द्रव्य शुद्धि अर्थात जिन पैसो से हम भोजन खरीदते हैं वह नीति की कमाई का हो। 

वस्तु शुद्धि कुछ चीजें शास्त्र में मना है उन चीजों का प्रयोग हमें अपने भोजन में नहीं करना चाहिए।

भाव शुद्धि यानि भोजन बनाते वक्त भोजन बनाने वाले का चित्त शांत हो, ममता से परिपूर्ण हो ना कि क्लेशपूर्ण हो। 

जिस भोजन के करने से आयु बढ़े, सत्त्व, आरोग्य, सुख, प्रीति बढ़े, जो भोजन रासपूर्ण, थोड़ा शुद्ध घी के उपयोग से तैयार हो वह भोजन सात्विक भोजन होता है। भोजन का दूसरा प्रकार रजोगुण भोजन की व्याख्या करते हुए गुरुदेव ने कहा कटु अर्थात तीखा, खट्टा, ज्यादा नमक वाला, बहुत गर्म, रूखा भोजन रजोगुण की श्रेणी में आता है तथा जो भोजन अच्छी तरह से पका ना हो, जिस का रस चला गया हो, जिससे दुर्गंध आ रही हो, जो बासी हो, जूठा और अपवित्र हो इस तरह का भोजन तमोगुणी होता है। 

इसके संबंध में गुरुदेव ने ऋतभुक मितभुक हितभुक की व्याख्या करते हुए बताया कि हमें हमेशा वह भोजन करना चाहिए जो हमारे लिए लाभकारी हो अर्थात हित्भुक होना चाहिए। 

उन्होंने कहा हमें अपनी भूख का आधा भोजन ही करना चाहिए अर्थात मित्भुक होना चाहिए और तीसरा ऋतु के अनुसार पाए जाने वाले शाक फल इत्यादि का सेवन करना चाहिए। साधना और भजन के लिए भोजन बहुत ही आवश्यक होता है। 

जिस प्रकार आहार तीन प्रकार के होते हैं उसी तरह यज्ञ भी तीन प्रकार का होता है। सत्वगुणी यज्ञ वह होता है जिसमें सबके कल्याण की कामना होती है, किसी फल की कामना नहीं होती। रजोगुण यज्ञ में फल की कामना होती है लाभ की कामना होती है। तमोगुण यज्ञ में दूसरों का नुकसान हो विधि बिना किसी विधि के बिना किसी दान के बिना सही मंत्रों के बिना अन्न दान दाने के और बिना श्रद्धा के किया जाने वाला यज्ञ तमोगुण यज्ञ की श्रेणी में आता है।

कथा के मुख्य यजमान आर सी मिश्रा है। आज का व्यास पूजन कौशलेंद्र कुमार मिश्रा एवं उषा मिश्रा ने किया, मंच का बहुत ही कुशल संचालन आलोक दीक्षित द्वारा हुआ। वरुण तिवारी, आरसी त्रिपाठी, अनंत कुमार चंदोला, बीके सिंह समेत अनेकानेक संत और श्रोता गण भक्तगण कथा श्रवण का लाभ उठाने के लिए वहां पहुंचे।


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