डिवाईडेड लाइफ् उपन्यास की लोगों के बीच बढ़ी मांग
जिन्दगी की जद्दोजहद और हनीट्रैप के असर को प्रदर्शित करता है यह उपन्यास
लखनऊ। जिन्दगी की जद्दोजहद और हनीट्रैप के पड़ रहे असर को बताते इस उपन्यास डिवाईडेड लाइफ की लोगों के बीच मांग बढ़ती जा रही है। इसकी सफ्लता का परिणाम यह है कि बाजार में आने के साथ ही यह उपन्यास प्रमुख ऑनलाईन स्टोर अमेजॉन पर बेस्टरीड्स की श्रेणी में शामिल हो गया। उपन्यास के लेखक एवं पेशे से अधिवक्ता लखनऊ निवासी वी0पी0 सुनील बताते है कि डिवाईडेड लाइफ् को दरअसल किसी एक व्यक्ति विशेष की कहानी के तौर पर न लेकर हर उस इंसान की कहानी के रूप में लिया जाना चाहिए जो जिन्दगी की जद्दोजहद में डिवाईडेड लाइफ् जीने को मजबूर है। इस दौर में हम पाना तो बहुत कुछ चाहते हैं पर हकीकत इससे जुदा है। क्या हम जिन्दगी में वो सब हासिल कर पाते हैं, जो चाहते हैं। हाल में ही मध्यप्रदेश में सामने आये हनीट्रैप का समाज पर क्या असर पड़ रहा है यह लोगों से छुपा नहीं है। इसी तरह इस उपन्यास में भी बताया गया है कि हनी ट्रैप का हमारे देश पर क्या असर पड़ रहा है। उपन्यास के बारे में लेखक ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि फ्र्ज व्यक्तिगत जीवन से ऊपर रहा है और वर्तमान में भी यही सत्य है। मैंने एक नायिका के द्वारा यही दर्शाने की कोशिश की है। वह अनेक प्रकार की विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बाद भी अपने फ्र्ज से विमुख नहीं होती है। किसी भी दशा में हार न मानना और संघर्षों से ही बहुमुखी प्रतिभा का विकास करना, यह सन्देश हमें नायिका से मिलता है। उपन्यास की सफ्लता से उत्साहित वी0पी0 सुनील का कहना है कि बदलते समय के साथ जिस तरह से व्यक्ति की मानसिकता बदल रही है और मानवता के मूलभूत तत्व जिस तरह से क्षीण हो रहे हैं। मेरा अगला उपन्यास मरते लोग इसी विषय पर केन्द्रित है। इसके द्वारा मैंने इस बदलाव पर चोट करने की कोशिश की है। अपने लेखन के बारे में उन्होंने बताया कि उन्हें लेखन का शौक छात्र जीवन में ही हो गया था और विश्वविद्यालय स्तर पर वर्ष 1985 में सामयिक विषय पर लिखे गये लेख को पुरस्कार के लिये भी चुना गया। इस लेखन के लगभग तीस वर्षो के बाद अपना पहला उपन्यास तीन युवा किरदारों पर केन्द्रित करते हुये डिवाईडेड लाइफ् लिखना शुरू किया जो सबके सामने है।
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