प्राविधिक विश्वविद्यालय में 17वां दीक्षान्त समारोह सम्पन्न


66 मेधावियों को मिला पदक


लखनऊ। डा0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में आयोजित 17वें दीक्षांत समारोह में 62 पीएचडी के छात्र छात्राओं एवं विभिन्न पाठ्यक्रमों के 58699 छात्र छात्राओं को उपाधि प्रदान की गयी साथ ही साथ ही साथ प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय एवं परमार्थ के 30 बालक-बालिकाओं को सम्मानित किया। 66 मेधावियों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक से पुरस्कृत किया गया एवं जल पुरुष राजेंद्र सिंह को डीलिट् की मानद उपाधि प्रदान की गयी ।
विश्वविद्यालय में स्थित अटल बिहारी बाजपेयी बहुउद्देशीय सभागार में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि ग्रामीण विकास के लिए विश्वविद्यालय द्वारा गाँव गोद लेने की योजना एक सराहनीय कदम है। परमार्थ के माध्यम से समाज के पिछड़े जनों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास अनूठा है।  उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के घटक संस्थान आईईटी, लखनऊ के छात्र-छात्राओं द्वारा ऐसे वंचितों के लिए परमार्थ नाम से सायंकालीन कक्षाएँ संचालित की जा रही हैं। वर्तमान में टीचिंग-लर्निंग में बड़ा पैराडाइम शिफ्ट हुआ है, स्किल ओरिएंटेड और प्रोडक्ट बेस्ड लर्निंग की अवधारणा मूर्तरूप ले रही है, इनोवेशन और इन्क्युबेशन इंटरप्रन्योरशिप (स्वरोजगार) का मुख्य उपकरण बन गये हैं। मुझे प्रसन्नता हुई कि विश्वविद्यालय के द्वारा प्रोडक्ट बेस्ड लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए डॉ कलाम सेंटर ऑफ इनोवेशन, इनक्युबेशन ऑफ स्टार्टअप के माध्यम से बेहतर आईडिया को प्रोटोटाइप में तब्दील करने के लिए प्रत्येक आइडिया को 12 हजार रूपये की सहायता राशि प्रदान की जा रही है। 



उन्होने कहा कि डॉ कलाम स्टार्टअप परिक्रमा परियोजना के अंतर्गत विभिन्न सम्बद्ध संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित कर आईडिया को बिजनेस प्लान में तब्दील करने का कार्य किया जा रहा है। अब तक दो हजार से ज्यादा इनोवेटिव आईडिया को बिजनेस प्लान के लिए तैयार किया जा चुका है। डिजिटल प्लेटफॉर्म कार्य में तेजी लाने के साथ ही पारदर्शिता को भी प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि यह एक हर्ष का विषय है कि विश्वविद्यालय स्वयं को डिजिटल करने की प्रतिबद्धता पर खरा उतरा है। विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा फार्म, पेपर डिलिवरी, मूल्यांकन, परिणाम, टेंडर, सम्बद्धता, से लेकर बिल पेमेंट तक सभी कार्य डिजिटल और ऑनलाइन कर दिए गये हैं। साथ ही 1 नवम्बर से विश्वविद्यालय ई-ऑफिस के माध्यम से पूर्ण कार्यप्रणाली संचालित करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा को सुनिश्चित करवाने हेतु नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन से विश्वविद्यालय के सम्बद्ध संस्थानों के पाठ्यक्रमों के एक्रीडिटेशन करवाने के लिए प्रयत्न किये जा रहे हैं। 2022 तक समस्त राजकीय एवं अनुदानित संस्थानों के अधिकतर पाठ्यक्रमों को एन.बी.ए. एक्रीडिटेशन करवाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के बच्चो को दीक्षांत में बुलाने का एक मात्र उद्देश्य उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना हैद्य साथ ही उन्होंने जल संचयन के लिए सभी से आवाहन किया। 



कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमल रानी ने कहा कि विवि परिसर में वन टाइम यूजेबल प्लास्टिक के प्रयोग को निषेध किया गया है। विवि की समस्त प्रयोगशालों का आधुनिकरण कर सराहनीय कार्य किया गया है। साथ ही उन्होंने विवि के कुलपति प्रो पाठक द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने उपाधि प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं से आवाहन किया कि गरीब और असहाय बालक-बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए अपने स्तर से प्रयास करें। 
विवि के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने विवि की प्रगति आख्या प्रस्तुत की उन्होंने कहा कि विवि ने मूक्स बेस्ड लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए दो ऑडियो विजुअल स्टूडियो की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि वैल्यू एजुकेशन को क्रेडिट कोर्स के रूप में लागू करने वाला देश का पहला प्राविधिक विवि बना है। 
समारोह के मुख्य अतिथि जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा जल ही जीवन है और हमें जल संचयन के लिए युद्ध स्तर पर पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि विवि द्वारा गाँव गोद लेकर जल संचयन के लिए प्रोजेट्स शुरू किये जाने की पहल करना सराहनीय कदम है।  इस अवसर पर कुलसचिव नन्द लाल सिंह प्रतिकुलपति प्रो विनीत कंसल, विद्या परिषद् एवं कार्य परिषद् के सदस्य तथा डीन उपस्थित रहे।


 


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