ओडीओपी का मिला संग तो खूब चटक हुआ टेराकोटा का रंग

  • दीपावली पर देश के अन्य राज्यों से खूब रही डिमांड, कई ट्रकों से भेजे गए उत्पाद 
  • शिल्पकारों ने कहा, टेराकोटा को पंख लगाने का श्रेय सीएम योगी को


गोरखपुर। ऐतिहासिक शहर गोरखपुर की खूबियों की विविधता में टेराकोटा माटी शिल्प भी शामिल है। छह साल पहले तक रंगत खो रहे इस शिल्प को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी ओडीओपी योजना की संगत मिली तो इस मिट्टी का रंग और चटक होता गया। कभी अक्सर खाली बैठने वाले टेराकोटा शिल्पकारों के पास अब सालभर काम की भरमार है तो दीपावली जैसे पर्व पर दम लेने की फुर्सत नहीं है। देश के कई राज्यों से आए डिमांड की सप्लाई कर चुके टेराकोटा शिल्पकारों की दीपावली तो करीब माहभर पहले ही मन चुकी है। अब त्योहार के आखिरी के दिनों में उनका फोकस लोकल मार्केट की डिमांड को पूरी करने पर है, लिहाजा चाक पर उनके हाथ लगातार चल रहे हैं। छह साल पहले तक गोरखपुर के टेराकोटा हुनरमंद कभी बाजार को तरसते थे। सीएम योगी ने टेराकोटा को ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में शामिल किया तो बाजार का विस्तार इतना हुआ कि शिल्पकारों को दीपावली जैसे त्योहार पर चार महीने पहले ही डिमांड रोकनी पड़ गई थी। 


वास्तव में टेराकोटा को पंख लगाने का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। टेराकोटा शिल्प को उद्यम में बदलने के लिए उन्होंने इसे बहुआयामी और महत्वाकांक्षी एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल किया। ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा शिल्पकारों को संसाधनगत, वित्तीय व तकनीकी मदद तो मिली ही, सीएम की अगुवाई में ऐसी जबरदस्त ब्रांडिंग हुई कि इसके बाजार का अपार विस्तार हो गया। इलेक्ट्रिक चाक, पगमिल, डिजाइन टेबिल आदि मिलने से शिल्पकारों का काम आसान और उत्पादकता तीन से चार गुना हो गई। गुणवत्ता में सुधार अलग से।

वर्तमान में टेराकोटा के मूल गांव औरंगाबाद के साथ ही गुलरिहा, भरवलिया, जंगल एकला नंबर-2, अशरफपुर, हाफिज नगर, पादरी बाजार, बेलवा, बालापार, शाहपुर, सरैया बाजार, झुंगिया, झंगहा क्षेत्र के अराजी राजधानी आदि गांवों में टेराकोटा शिल्प का काम वृहद स्तर पर चल रहा है। ओडीओपी में शामिल होने के बाद बाजार बढ़ने से करीब 30-35 फीसद नए लोग भी टेराकोटा के कारोबार से जुड़े हैं। एक तरह से इसके ब्रांड एम्बेसडर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। और, इस ब्रांडिंग ने शिल्पकारों को बारह महीने काम से सराबोर कर दिया है। 

मांग और बाजार के संबंध में राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत शिल्पकार राजन प्रजापति का कहना है कि दीपावली को लेकर साल के शुरुआत में ही इतना ऑर्डर मिल गया था कि हम नए ऑर्डर नहीं ले रहे थे। टेराकोटा के सजावटी उत्पादों की सर्वाधिक मांग हैदराबाद, गुजरात, बेंगलुरु, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पांडिचेरी, मुंबई आदि राज्यों से रही। राजन बताते हैं कि मुख्यमंत्री के प्रयासों से टेराकोटा का काम इतना बढ़ गया है कि तनिक भी फुर्सत नहीं मिल पा रही। कभी स्थानीय बाजार में ही उत्पाद नहीं बिक पाते थे जबकि आज हमारे उत्पाद की मांग पूरे देश में हैं। वाकई महाराज जी (सीएम योगी) ने तो हमारी मिट्टी को सोना बना दिया है। बकौल राजन, इस वर्ष उनके वर्कशॉप से 21 ट्रक माल अन्य प्रदेश में भेजा गया है। इसका आर्डर चार माह पहले लिया गया था।

लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद्र प्रजापति ने बताया कि ओडीओपी ने टेराकोटा कारोबार का कायाकल्प कर दिया है। उन्होंने गत तीन माह में बेंगलुरु, हैदराबाद, मुम्बई, पुणे, दिल्ली, जयपुर, चेन्नई जैसे बड़े शहरों को आठ ट्रक उत्पादों की खेप भेजी है। इसी समूह के सचिव मोहन लाल प्रजाति भी मानते हैं कि पहले काम काफी कम होता था लेकिन ओडीओपी में शामिल होने के होने के बाद टेराकोटा की डिमांड खूब बढ़ी है। व्यवसाय में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। मोहन ने इस बार मुम्बई और भोपाल के लिए तीन ट्रक टेराकोटा उत्पाद भेजे हैं। 

मेसर्स आदर्श टेराकोटा समूह जंगल एकला नंबर दो के अध्यक्ष हरीओम आजाद भी टेराकोटा कारोबार में आए बूम का श्रेय योगी सरकार की ओडीओपी योजना को देते हैं। उनके मुताबिक ओडीओपी से टेराकोटा शिल्पकारों को फायदा ही फायदा है। उन्होंने बताया कि तीन माह पहले भोपाल, लुधियाना, मुम्बई और लखनऊ से चार ट्रक माल का आर्डर मिला था। जिसको तैयार करके भेज दिया गया है।

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