शिक्षकों में संस्कारी अनुशासन एवं सेवाभाव जरूरीः राज्यपाल

 किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का 16वां दीक्षान्त समारोह सम्पन्न

लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के 16वें दीक्षान्त समारोह के दौरान कहा कि चिकित्सा शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञानशीलता प्राप्त करना ही नहीं बल्कि हर शिक्षार्थी के अन्दर विनम्रता एवं सेवाभाव भी होना चाहिय। उन्होंने कहा कि आज हम सबके लिये ऐतिहासिक दिन है। पांच वर्ष की मेहनत के बाद परिणाम आया। शिक्षकों द्वारा संस्कार, अनुशासन एवं सेवाभाव का जो पाठ सिखाया गया, उसे आपने मन लगाकर सीखा और मेडल भी प्राप्त किये। आप सभी तथा शिक्षक बधाई के पात्र हैं। ये और भी खुशी की बात है कि 44 पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में से 21 छात्राएं हैं। राज्यपाल ने कहा कि पढ़ने पढ़ाने पर सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर रही है। अतः आपको अपनी शिक्षा का उपयोग समयबद्धता एवं गुणवत्ता के साथ समाज के लिये करना चाहिये। समाज आपको भरपूर सम्मान देता है। अतः जिस प्रकार शिक्षक का व्यवहार बच्चे के लिये उसका प्रतिबिम्ब होता है उसी प्रकार प्रत्येक मरीज चिकित्सक में भगवान का रूप देखता है। अतः आप सभी को करूणा एवं संवेदनशीलता के साथ बिना किसी भेदभाव के चिकित्सा सेवा देना चाहिये। उन्होंने कहा कि आज देश में कुल टीबी के मरीजों में से 20 प्रतिशत बच्चे उत्तर प्रदेश में हैं। उन्होंने चिकित्सकों तथा डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों से आह्वान किया कि सभी कम से कम एक क्षय रोग ग्रसित बच्चे को गोद लें तथा देखभाल करें। 

राज्यपाल ने कहा कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन कम से कम 60 बच्चों को हर साल गोद लेने का संकल्प लें और अगले दीक्षान्त समारोह तक उन्हें स्वस्थ करें। इस अवसर पर राज्यपाल ने 6 टीबी ग्रसित बच्चों को फल वितरित किये। राज्यपाल ने केजीएमयू प्रशासन द्वारा चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु गोद लिये गये 10 गांव पर प्रसन्नता जाहिर की तथा उम्मीद जतायी कि प्रशासन संजीदगी से इन गांव में चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध करायेगा। राज्यपाल ने गरीब महिलाओं के स्वास्थ्य पर चिंता जताते हुये कहा कि आज बड़ी संख्या में ग्रामीण, गरीब एवं अशिक्षित महिलायें ब्रेस्ट कैंसर तथा सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित हैं। उन्होंने केजीएमयू को निर्देश दिये कि कैम्प कर इस सम्बन्ध में जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ उपचार की भी सुविधा दें। उन्होंने कहा कि यदि आप एक महिला की रक्षा करते हैं तो आप एक परिवार को बचाते हैं। अतः इस दिशा में गम्भीरता से कार्य किया जाय। माँ का आशीर्वाद कभी निष्फल नहीं जाता। उन्होंने कहा कि दिव्यांगता के कारणों पर भी शोध होना चाहिए ताकि हम अपनी पीढ़ी को दिव्यांगता से बचा सकंे। 


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