दिव्यांग विद्यार्थियों के लिये विशेष शिक्षा की व्यवस्था होः राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि वास्तव में शिक्षा के माध्यम से हमें ऐसे विद्यार्थियों को गढ़ना है जो राष्ट्र-गौरव के साथ साथ विश्व कल्याण की भावना से ओत प्रोत हों और वे सही मायने में ग्लोबल सिटिजन बन सकें। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय दिव्यांग विद्यार्थियों के पठन पाठन, आकलन एवं उनके मूल्यांकन की विधियों में व्यापक सुधार के संबंध में विचार कर अपेक्षित सुधारों को लागू करें। राज्यपाल ने दीक्षान्त समारोह में 121 विद्यार्थियों को 151 मेडल देकर सम्मानित किया।
श्रीमती पटेल ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों हेतु विश्वविद्यालय परिसर में डाक घर का शुभारम्भ किया तथा विश्वविद्यालय पर डाक टिकट निर्गत किया। इसके साथ ही राज्यपाल ने पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण एवं उनकी कविता पर आधारित विथिका का उद्घाटन भी किया। उन्होंने कहा कि स्व0 अटल बिहारी वाजपेयी की यह प्रतिमा विद्यार्थियों को सदैव आगे बढ़ने एवं देश प्रेम की प्रेरणा देती रहेगी।
श्रीमती पटेल ने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्र पर भी दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिये जरूरी है कि शिक्षकों को नई शिक्षा नीति के तहत प्रशिक्षण दिया जाय। साथ ही एक देश एक पाठ्यक्रम की व्यवस्था भी लागू होनी चाहिए। उन्होंने अभिभावकों का आह्वान किया कि वे नई शिक्षा नीति को जानें और उसे प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च स्तर तक लागू करने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। आज की परिस्थिति में 60 प्रतिशत शिक्षक कार्य आनलाइन हो रहा है जबकि 40 प्रतिशत अध्यापकों के माध्यम से हो रहा है। हमें अपनी पीढ़ी को कुशल नागरिक बनाना है। देश के लिये कुछ कार्य करने है। अतः हमें सोचना चाहिए कि मैंने देश के लिये क्या किया और मैं देश के लिये क्या कर सकता हूं। हमें इसी सोच के साथ आगे बढ़ना है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय ज्ञान की गौरवशाली परम्परा रही है। आज हम सभी यहां इसको महसूस कर रहे हैं। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी व विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय के लिए दीक्षान्त समारोह एक विशिष्ट अवसर होता है। दीक्षान्त समारोह प्राचीन समावर्तन संस्कार का ही परिष्कृत रूप है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोविड-19 से त्रस्त है। ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षान्त समारोह का आयोजन किया जाना अभिनन्दनीय है। उन्होंने कहा कि शिक्षा पूरी करने के बाद विद्यार्थी का दायित्व बनता है कि वह समाज के लिए कुछ अच्छा करे। उन्होंने कहा कि हम सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आभारी हैं, जिन्होंने विकलांगता शब्द को दिव्यांगता का नाम दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का मानना है कि दिव्यांग व्यक्ति में कोई न कोई दिव्य शक्ति अवश्य होती है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग शब्द दिव्यांगजन को प्रेरणा देता है। उस दिव्य शक्ति का उपयोग करके उन्हें मुख्य धारा से जोड़ते हुए समाज के विकास में सहभागी बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल खण्ड में प्रदेश सरकार ने लगभग 10 लाख 68 हजार दिव्यांगजनों को पेंशन देने का कार्य किया। दिव्यांगजनों के जीवनस्तर में सुगमता लाने के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की ओर से सहायक उपकरण, ट्राईसाइकिल और अन्य उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में परम्परागत ज्ञान, आधुनिक इनोवेशन और स्टार्टअप संस्कृति को शामिल किया गया है। इसमें विशिष्ट छात्र-छात्राओं को विशेष अवसर मिल सकेंगे। सरकार दिव्यांगजन के हितों के दृष्टिगत लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने पी0एच0डी0 की उपाधि प्राप्त सुश्री श्यामली मिश्रा का जिक्र करते हुए कहा कि जिनके नाम पर डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय स्थापित है, आज उनकी पोती को उपाधि प्राप्त हो रही है। डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा की आत्मा को भी आत्मिक सुख की अनुभूति हो रही होगी कि पहली पीएचडी की उपाधि प्राप्त हुई है।
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