विपक्ष के हंगामें की वजह से विधान परिषद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

 


मुकुल मिश्रा
लखनऊ। विधान परिषद में आज का दिन खासा हंगामेदार रहा। जहां नागरिकता संशोधन कानून के विरोध और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के पूर्व निर्धारित विरोध प्रदर्शन के दौरान सपा कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज व उनकी गिरफ्तारी का मामला गूंजा। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन को धारा-144 लगा होने संबंधित नोटिस चैकी इंचार्ज द्वारा लाये जाने के मुद्दे पर भी सपा सदस्यों ने वेल में आकर जमकर हंगामा किया। सपा सदस्यों का साथ कांग्रेस व बसपा के सदस्यों ने भी दिया। हालांकि एक मौका ऐसा भी आया जब वेल में नारेबाजी कर रहे सपा सदस्यों को शिक्षक दल व कांग्रेस के सदस्य वापस ले गये। शिक्षक दल के सदस्य प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षक एवं कर्मचारियों की भर्ती के लिए बनाये गये-उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक के विरोध में वेल में आकर धरने पर बैठ गये। शिक्षक दल ने इसे काला कानून बताते हुए कहा कि इस वापस लिया जाये। सदन में 4210 करोड़ का अनुपूरक अनुदान भी इसी शोर-शराबे के बीच पास हो गया और अधिष्ठाता ने सदन की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।



सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने स्वयं को गोमतीनगर थाने से एक दरोगा द्वारा धारा-144 नियम के अन्तर्गत दिये गये नोटिस की तरफ सदन का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा यह नोटिस उनका अपमान है, उनके पद एवं उनकी सरकारी सेवा में किये गये कर्यों की गरिमा के विपरीत है। यह उनके लिये धमकी एवं मानसिक पीड़ा देने वाला नोटिस है। यह उनके लिये ऐसा है जैसे कि वह कोई मुजरिम हो। उन्होंनें कहा यह सरकार की तानाशाही है। पुलिस सरकार के इशारे पर दमनात्मक कार्रवाई कर रही है। हमारी पार्टी ने पहले ही शांतिपूर्वक धरने का ऐलान किया था। इस पर नेता सदन डा0दिनेश शर्मा ने कहा इस नोटिस से किसी का अपमान नहीं हुआ है। यह नियम के तहत है। राम मंदिर आन्दोलन में एक कान्सटेबल पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को नोटिस देने गया था। उसे उन्होंने बिठाया,चाय पिलायी, नोटिस ली और तब उसे भेजा। चैकी इंचार्ज अपने क्षेत्र का अधिकारी है, उसकी जिम्मेदारी है कि आपको सूचना दे। यह पृथा है। जब हम मेयर थे तब एक चपरासी मुझे नोटिस दे गया था। इसपर सपा के सभी सदस्य शोर-शराबा करते हुये वेल में आ गये और धरने पर बैठ गये। जिसपर अधिष्ठाता ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित कर दिया, जिसे बढ़ाकर बारह कर दिया गया है।



शून्य प्रहर में सदन की बैठक शुरू होने पर अधिष्ठाता ने कहा कि सभी प्रश्न उत्तरित माने जायेंगे। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा कि पूरा प्रदेश छावनी में बदल गया है। इसके लिए सरकार जिम्मेदार है, पुलिस नही। जनप्रतिनिधियों का सम्मान किया जाना चाहिए। सरकार दमन-उत्पीड़न कर रही है। हमारा धरना-प्रदर्शन वैसे ही कामयाब है। सरकार का रवैया ठीक नहीं है। इसी बीच सपा के सभी सदस्य वेल में आकर अपने नेता अहमद हसन को दिये गये नोटिस के संबंध में रूलिंग देने की बात करते हुए सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे। अधिष्ठाता  के बार-बार आग्रह के बाद भी सपा के सदस्य वापस अपने-अपने स्थान पर नहीं गये। तब कैबिनेट मंत्री महेन्द्र सिंह ने कहा कि ये किस नियम में बोल रहे हैं। इसपर चर्चा का क्या औचित्य है। सदन को व्यवस्थित न देख अधिष्ठाता ने सदन की कार्यवाही को 1ः30 बजे तक के लिये स्थगित कर दिया।
1ः30 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुयी। सपा के राजपाल कश्यप् ने कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में हालात बेकाबू हैं। सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को उत्पीड़न हो रहा है। कार्यकर्ताओं-नेताओं को जेलों में डाला जा रहा है। एक तरह से अघोषित इमर्जेन्सी लगाी हुयी है। विधान सभा और विधान परिषद में बोलने नहीं दिया जा रहा है। सपा सदस्य फिर वेल में आ गये। इसी शोर-शराबे के बीच अधिष्ठाता यज्ञ दत्त शर्मा के निर्देश पर प्रमुख सचिव ने विधान सभा द्वारा प्रारित विधेयकों को सदन की मेज पर रखा। कांग्रेस और शिक्षक दल के सदस्य वेल में आकर सपा के सदस्यों को वापस ले गये। इसके बाद सपा के शतरूद्र प्रकाश ने बजट पर बोलते हुए कहा कि सरकार जनता को गुमराह कर रही है।



सपा, कांग्रेस और बसपा के सदस्यों ने कार्य स्थगन की सूचनाओं की बाबत अधिष्ठाता से उनके निर्णिय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि सरकार चर्चा से क्यों भाग रही है। अगर हिम्मत हो तो चर्चा कराये। अधिष्ठाता ने कहा कि चैम्बर से निस्तारित किये जाने का आदेश हो चुका है। नेता सदन ने भी कहा कि निर्णय पर पुनर्विचार का कोई मतलब नहीं। कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि विपक्ष अपनी जवाबदेही से भाग रहा है। प्रश्न प्रहर नहीं चलने दे रहा। सूचनाएं भी नहीं होने दे रहा। जो बजट पर चर्चा करना चाहता है उसे भी बोलने नहीं दे रहे हैं। श्री मौर्या ने तो विपक्ष को राष्ट्रविरोधी व आतंकवादियों का साथ देनेवाला तक करार दिया। इस पर सत्ता पक्ष और वेल में मौजूद विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोक-झोंक हुयी। अधिष्ठाता ने सदन की कार्यवाही को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। सदन की बैठक फिर शुरू होने पर वेल में मौजूद सपा के सभी सदस्य नारेबाजी करते रहे। इसी शोर-शराबे और हंगामे के बीच सरकार ने उत्तर प्रदेश विनियोग (2019-2020 का द्वितीय अनुपूरक) विधेयक पास करा लिया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश दण्ड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) (संशोधन) विधेयक, 2019, उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2019, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक, 2019। उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबन्ध) (संशोधन) विधेयक, 2019 और उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2019 पास हो गया। हालांकि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक, 2019 का शिक्षक दल ने पुरजोर विरोध किया। इसके विरोध में क्षुब्ध शिक्षक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा एवं अन्य सदस्य तथा सपा के सभी सदस्य वेल में आकर धरने पर बैठ गये। उनके साथ कांग्रेस व बसपा के सदस्य वेल में आ गये। शिक्षक दल के सदस्यों का कहना था कि यह शिक्षा विरोधी कानून है। इस काले कानून को वापस लो। इसके लिए हम जान भी दे देंगे। जब सरकार इन विधेयकों को पारित करा रही थी तो वेल में मौजूद सपा के सदस्यों ने कागज के गोले, एजेण्डे की कापियां व विधेयकों की प्रतियां अधिष्ठाता की पीठ की ओर उछालीं। इसके बाद राष्ट्रगान हुआ और अधिष्ठाता ने  सदन की बैठक अनिश्चितकाल के लिये स्थगित हो गई।


 


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