समितियाँ सदन का लघु स्वरूप होती हैंः हृदय नारायण दीक्षित


लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने आज विधान सभा की नवगठित प्रतिनिहित विधायन समिति एवं याचिका समिति की बैठकों का उद्घाटन करते हुए दोनों समितियों के सदस्यों को समितियों की कार्यप्रणाली, व्यवहार, कर्तव्य आदि से विधिवत से परिचित कराया। श्री अध्यक्ष ने विधान सभा की नवगठित समितियों के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि समितियाँ सदन का लघु स्वरूप होती हैं। जिस प्रकार सदन चलता है उसी प्रकार समितियाँ भी अपना कार्य-संचालन करती हैं। विधान सभा के विशेषाधिकार एवं उन्मुक्तियाँ इन समितियों में भी लागू होती हैं। समितियों के सभापतियों को वही अधिकार प्राप्त होते हैं, जो विधान सभा के संचालन के समय अध्यक्ष को प्राप्त होते हैं।



उन्होने कहा कि विधान सभा में सत्ता पक्ष एक तरफ होता है, विपक्ष दूसरी तरफ होता है। बीच में अध्यक्ष होता है। सदन में समय की कमी के कारण मामलों का सूक्ष्म विश्लेषण नहीं हो पाता है। समिति में सत्ता और विपक्ष में भेद नहीं होता है। सभी मर्यादा के अन्तर्गत अपनी बात कहकर सरकारी तंत्र को जवाबदेह बना सकते है। समितियों में अधिकारियों का एक पक्ष होता है, दूसरे पक्ष में विधायकगण होते हैं। उन्हें विषयों के सूक्ष्म विश्लेषण का अवसर मिलता है।



प्रतिनिहित विधायन समिति की उद्घाटन बैठक में श्री दीक्षित ने बताया कि यह समिति कानून बन जाने के बाद उसके अन्तर्गत जो नियमावली बनाई जाती है, उसकी छानबीन करती है। समिति यह देखती है कि जो नियमावली विभागों द्वारा बनाई जा रही है वह सदन के बनाए गए कानून के अनुरूप है अथवा नहीं। यदि कोई नियम कानून के अनुरूप नहीं है, उसे सुधार हेतु अपनी संस्तुति कर सकती है। समिति यह भी देखती है कि जो भी नियमावली विभाग द्वारा बनाई जा रही है वह 6 महीने के अन्दर सदन के पटल  पर रखी जा रही है अथवा नहीं। इस अवसर पर समिति के सभापति, डाॅ0 अरूण कुमार ने विधान सभा अध्यक्ष को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि समिति के कार्य क्षेत्र में जो विषय निर्धारण के प्रति अध्यक्ष के मार्गदर्शन के अनुरूप समिति सक्रिय रूप से अधिक समय बैठक कर अपने कार्यो को सम्पन्न करेंगी।
याचिका समिति के उद्घाटन भाषण में समिति के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए श्री अध्यक्ष ने कहा कि याचिका समिति की जन समस्याओं के निराकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस समिति के द्वारा जनता से प्राप्त प्रार्थना-पत्र सदस्यो द्वारा याचिका के रूप में प्रस्तुत किये जाते है। समिति के समक्ष प्रस्तुत याचिकाओं एवं अभ्यावेदन पर वर्णित समस्याओं का समाधान शासन द्वारा त्वरित एवं प्रभावी ढंग से कराया जा सकता है।
श्री अध्यक्ष ने याचिका समिति को सदन की महत्वपूर्ण समिति बताते हुए कहा कि याचिका समिति अपनी संस्तुतियों के माध्यम से शासन व प्रशासन को बाध्यकारी एवं प्रभावी ढंग से जनसमस्याओं के त्वरित निदान, क्षेत्रीय विकास व शासन की कल्याणकारी योजनाओं से आम-जनता को लाभांवित कराने का प्रयास करती है। उन्होंने बताया कि संसदीय प्रणाली में याचिका समिति सदन की महत्वपूर्ण समितियों में से एक है। इस समिति का गठन सर्वप्रथम 06 मार्च, 1952 को हुआ था। तत्समय समिति के 05 सदस्य ही हुआ करते थे और इसका कार्यकाल केवल एक सत्र तक ही समिति रहता था। अब इस समिति के सदस्यों की संख्या 15 है। समिति का कार्यकाल एक वित्तीय वर्ष अथवा जब तक नयी समिति का गठन न हो जाये तब तक के लिए रहता है। सम्प्रति समिति के समक्ष 1409 याचिकायें, अभ्यावेदन विचारार्थ प्राप्त हुए है। समिति परीक्षण कर कार्यवाही कर रही है।
याचिका समिति के वरिष्ठ सदस्य सुखदेव राजभर पूर्व विधान सभा अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों ने इस समिति के सफल संचालन के लिए श्री अध्यक्ष के मार्गदर्शन के लिए प्रशंसा करते हुए समिति के सफल संचालन हेतु पूर्ण सहयोग हेतु आश्वस्त किया। समितियो के उद्घाटन अवसर पर उत्तर प्रदेश विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।


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