विधान परिषद में पास हुआ एससी-एसटी आरक्षण संबंधी 126वां संशोधन विधेयक


लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के एक दिवसीय विशेष सत्र में मंगलवार को विधायिका में अनुसूचित जाति-जनजाति को दिये जा रहे आरक्षण की अवधि को दस वर्ष, के लिए आगे बढ़ाने संबंधी, संसद के दोनांे सदनों द्वारा यथापारित संविधान (एक सौ छब्बीसवां संषोधन) विधेयक, 2019 को सर्वसम्मति एवं ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके साथ ही विपक्षी सदस्यों ने कई बार एनआरसी व सीएए आन्दोलनों का मामला भी उठाना चाहा, जिसकी अधिष्ठाता ने अनुमति नहीं दी। कई मौकों पर सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच हल्की नोंक-झोंक भी हुयी। एक बार तो अधिष्ठाता डा0 ओम प्रकाश शर्मा को अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए सदस्यों को शांत बैठ जाने का निर्देश देना पड़ा। 



सदन की बैठक वन्दे मातरम् से शुरू हुयी। इसके बाद ज्यों ही सदन की कार्यवाही शुरू हुयी समाजवादी पार्टी के सदस्य एवं नेता विरोधी दल अहमद हसन खड़े हो गये और उन्होंने कहा कि एन0आर0सी0 आन्दोलनों में मारे गये लोगों तथा पुलिस द्वारा की गई बर्बरता की तरफ सदन का ध्यान आकृष्ट किया। साथ ही कहा कि कल कार्य मंत्रणा में विपक्ष को धोखा दिया गया। कल बताया गया था कि यह विशेष सत्र है, सदन में कोई काम नहीं होगा जबकि विधान सभा में तो सब काम हो रहा है। यह हमारे साथ ही नहीं बल्कि जनता के साथ भी धोखा है। मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार ऐसे मुद्दे लेकर आ रही है और एक दिन का सत्र चला रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कई सदस्यों का समय से सूचना नहीं मिल पायी। सत्ता पक्ष ने जानना चाहा कि यह किस नियम के अन्तर्गत बोल रहे हैं, जिसपर सभापति की जिम्मेदारी देख रहे अधिष्ठाता डा0ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि उन्हें कई सदस्यों से इस तरह की शिकायतें मिली हैं। उन्होंने सरकार से कहा कि ऐसे जिलाधिकारियों की ओर सरकार ध्यान आकर्षित करे। इसके बाद सपा सदस्य शतरूद्र प्रकाश ने राजनेता राज नारायण की 33 पुण्यतिथि पर उन्हें सदन में याद किया और श्रद्धांजलि दी। सत्ता पक्ष द्वारा पुनः नियमों का हवाला देने पर अधिष्ठाता ने कहा कि उन्होंने सदस्य को अनुमति दी है। कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह ने कहा कि प्रदेश में धारा 144 लगी है। एक तरह से अघोषित तौर पर कफ्र्यू जैसी स्थिति हैं। इण्टरनेट सेवाएं बन्द हैंै। सरकार डिजिटाइजेशन की बात करती है लेकिन मोबाइल इण्टरनेट बन्द होने से उन्हें तमाम असुविधाएं हो रही है। सीएए और एनआरसी पर शांतिपूर्वक विरोध करनेवालों को बिना किसी न्यायिक जांच के फंसाया जा रहा है। इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था व संविधान के अनुच्छेद-21 का भी उल्लंधन हुआ है। अधिष्ठाता ने इसे अस्वीकार कर दिया। 



नेता सदन एवं उपमुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा ने संसद द्वारा पारित संविधान के एक सौ छब्बीसवां संशोधन विधेयक 2019 में संशोधन के अनुसर्मथन का संकल्प पेश किया। जिसके तहत 25 जनवरी 2020 को समाप्त होनेवाले आरक्षण प्रस्ताव को दस वर्ष बढ़ाने के लिए राज्यों के सदनों से पारित प्रस्ताव की मंजूरी लेना आवश्यक है। प्रस्ताव का समर्थन करते हुए नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा कि जनगणना होने जा रही है। यह जनगणना जातिवार करा ली जाये और इसमें जिसकी जितनी संख्या ज्यादा हो उसे उसी हिसाब से हिस्सेदारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं, साथ ही हमारी यह मांग है कि प्रोन्नति में भी आरक्षण दिया जाये। उन्होंने कहा कि यह पहली सरकार है, जहां शांतिपूर्वक ढ़ग से प्रदर्शन कर रहे दो दर्जन से अधिक लोग पुलिस की गोली से मारे गये। अभी तक पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नहीं दिखा रही है। मिनिस्टीरियल जांच नहीं हो रही है। जैसी सरकार है वैसी ही पुलिस है। आज नौजवान खड़ा हो गया है और धरना-प्रदर्शन कर रहा है। पुलिस लोगों के घरों में घुसकर उन्हें मार रही है। अस्पतालों मंे दवाएं नहीं है, घरों में महिलाएं सुरक्षित नहीं है। 



बसपा नेता दिनेश चन्द्रा ने कहा कि वह आरक्षण बढ़ाये जाने के इस ऐतिहासिक प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी और हम हमेशा से इसके समथर््ान में रहे हैं। बाबा साहब अपनी काबिलियत से ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन बनाये गये थे। उन्होंने जो संविधान लिखा और आरक्षण की व्यवस्था की उसे हमारी नेता मायावती ने आगे बढ़ाने का काम किया। किसी देश का संविधान चाहे कितना भी अच्छा हो लेकिन अगर उसे लागू करनेवालों की नीयत अच्छी न हो तो उसका फायदा लोगों को नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा हमें दुःख होता है कि जो लोग बाबा साहब की व्यवस्था के चलते देश की संसद और विधान सभाओं में पहुंचे, उन्होंने भी कई बार बाबा साहब की व्यवस्था को आगे नहीं बढ़ाया। इतिहास हमेशा संघर्ष करनेवालों का लिखा जाता है, जो बहुजन के साथ रहेगा, वो दिल्ली पर राज करेगा। उन्होंने कहा बहुत सी सामान्य सीटों पर भी हमारे समाज के लोग अब बहुतायत में हो गये हैं, ऐसी सीटों को भी आरक्षित की श्रेणी में लाया जाय। 
कांग्रेस के दीपक सिंह ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि लोग कहते हैं कि कांग्रेस ने क्या दिया। कांग्रेस ने बाबा साहब को दिया, देश को संविधान दिया, समानता का अधिकार दिया। सामाजिक, आर्थिक रूप से गैरबराबरी को दूर करने में हमारे नेता राजीव गांधी का बड़ा योगदान रहा उन्होंनं पचायत राज व्यवस्था दी। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि आरक्षण मिलेगा कहां से जबकि सारे सरकारी संस्थानों का निजीकरण किया जा रहा है और प्राइवेट सेक्टर आरक्षण नहीं देता। उन्होंने कहा हमारे नेहरू, गांधी, अम्बेडकर और जगजीवनराम हमारे लिए समान पूजनीय हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहब के संविधान में शांतिपूर्वक आन्दोलन की व्यवस्था बनायी गयी है, जबकि आज प्रदेश के हालात इससे विपरीत हैं। बाबा साहब के संविधान की पूरी तरह से अनदेखी हो रही है। 



षिक्षक दल के जगवीर किषोर जैन ने कहा हमारा दल इसका पुरजोर समर्थन करता है। अपना दल के आषीष पटेल ने समर्थन करते हुये कहा कि नौकरियों में बैकलाग की सीटों को पूरा नहीं भरा जा रहा है। जिसे पूरा भरा जाना चाहिए। निर्दलीय समूह के नेता राज बहादुर सिंह चन्देल ने कहा कि यह आरक्षण बिल जो 10 वर्षों के लिये बढ़ाया जा रहा है जो 26 जनवरी, 2020 से प्रभावी होगा का मैं और मेरा दल पुरजोर समर्थन करता है। सपा नेता राजपाल कष्यप, आनन्द भदौरिया और लीलावती कुषवाहा ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये और सभी ने आरक्षण बिल का पुरजोर समर्थन किया। 
नेता सदन ने आने वाले, 'भारत का संविधान' में, संषोधन का अनुसमर्थन का प्रस्ताव सदन की मेज पर रखते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री को बधाई देता हूॅ। संषोधन बिल का समर्थन करते हुये कहा कि पिछले सत्तर वर्षों में अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के जीवन स्तर में खासा सुधार हुआ है। अत्याचार कम हुए हैं। भारत सरकार संविधान निर्माताओं की प्रतिबद्धता को बनाये रखने के लिए संकल्पित है। आज पूरी तरह से पारदर्शी सरकार है, पिछली सरकार में अराजकता थी। उन्होंने कहा संसद में अनुसूचित जाति के 84 सदस्य और अनुसूचित जनजाति के 47 सदस्य हैं। वहीं, देषभर की राज्य विधान सभाओं में अनुसूचित जाति के 614 सदस्य और अनुसूचित जनजाति के 554 सदस्य हैं। इसमें सबसे ज्यादा भारतीय जनता पार्टी के हैं। इसके बाद संसद के दोनांे सदनों द्वारा यथापारित संविधान (एक सौ छब्बीसवां संषोधन) विधेयक, 2019 को विधान परिषद में ध्वनिमत एवं सर्वसम्मति से पारित हुआ। इसके बाद राष्ट्रगान के साथ ही सदन की बैठक अनिष्चितकाल के लिये स्थगित हो गई।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाषा विश्वविद्यालय में परीक्षा को नकल विहीन बनाने के लिए उठाए गये कड़े कदम

यूपी रोडवेज: इंटर डिपोज क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में कैसरबाग डिपो ने चारबाग डिपो को पराजित किया

भाजपा की सरकार ने राष्ट्रवाद और विकास को दी प्राथमिकताः नीरज शाही