भाषा विश्वविद्यालयः सिर्फ कोर्स करने से नहीं अभ्यास करने से ही बन सकेंगे अच्छे अनुवादकः रिजवानुर्रहमान

लखनऊ। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा समिति-शिक्षा मंत्रालय, केंद्र सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की जा रही तीन दिवसीय कार्यशाला “इंटरनेट टूल्स के माध्यम से अनुवाद व चुनौतियां एवं समाधान” के दूसरे दिन  मुख्य वक्ता प्रो रिजवानुर्रहमान अध्यक्ष अरबी एवं अफ़्रीकन स्टडीज़ सेंटर जेएनयू ने अनुवाद की बारीकियो को सहज भाषा में विद्यार्थियों को समझाया। 

उन्होंने बताया कि अनुवाद अपनी मातृभाषा में करना सबसे आसान होता है और अनुवाद करने से पूर्व दोनों भाषाओं का ज्ञान होना अति आवश्यक है। उन्होंने बताया कि मशीनी ट्रांसलेशन अभी इतना सक्षम नहीं हो पाया है कि वह हर तरह का अनुवाद कर सके। अंत में उन्होंने कहा कि कोई भी अच्छा अनुवादक सिर्फ कोई कोर्स करने से नहीं बन जाता बल्कि लगातार प्रयास करने वाला अपने आप ही एक अच्छा अनुवादक बन जाता है।

कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में प्रो सूरज बहादुर थापा हिंदी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय ने इंटरनेट माध्यमों से साहित्यिक कृतियों के अनुवाद की चुनौतियों के विषय पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने हिंदी के महान साहित्यकारों जैसे मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि के साहित्यों के विषय तथा उसके अनुवाद को करने की मूलभूत बातें प्रायोगिक रूप से विद्यार्थियों के साथ साझा की। उन्होंने विद्यार्थियों से ‘ग्लोकल’ होने की बात कही और उन्हें समझाया कि अनुवाद करने से पहले उन्हें स्थानीय भाषा पर पकड़ बना लेनी चाहिए।

दूसरे सत्र की वक्ता डॉ प्रोमिला बहादुर एसोसिएट प्रोफेसर आईईटी लखनऊ ने ऑनलाइन टूल्स के माध्यम से संस्कृत के अनुवाद के बारे में अपने विचार रखे। उन्होंने ऑनलाइन उपलब्ध विभिन्न प्लैटफॉर्म्स तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अनुवाद में आने वाली चुनौतियों को दूर करने का रास्ता विद्यार्थियों को सुझाया।

सत्र के अंत में डॉ विनय कुमार डिप्टी मैनेजर राजभाषा विभाग नई दिल्ली ने भारतीय भाषा एवं साहित्य के संवर्धन में इंटरनेट टूल्स की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने अपने अनुभवों को विद्यार्थियों के साथ साझा किया और बताया कि साहित्य के संवर्धन में इंटरनेट एक बहुत बड़ा परिवर्तन करने में सक्षम है। कल तीसरे दिन के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रो मनोज दीक्षित पूर्व कुलपति डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय रहेंगे एवं डॉ वसीम अख्तर अध्यक्ष तालिमी बिरादरी एवं डॉ रचना विश्वकर्मा बतौर वक्ता मौजूद रहेंगे।


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