उत्तर प्रदेश में 30 और देश भर में स्थापित होंगे 300 'हार्ट फेलियर' क्लीनिक: दिलीप सिंह राठौड़

  • हाइपरटेंशन, डायबिटीज और मोटापा हार्ट फेलियर के रिस्क फैक्टर्स हैं, साँस का फूलना और सूजन इसके ख़ास लक्षण हैं: डॉ ऋषि सेठी

  • देश में 80 लाख से 1 करोड़ 20 लाख लोग हार्ट फेलियर से पीड़ित

  • हार्ट फेल्योर दवा "अज़मर्दा" की कीमत 50 प्रतिशत की कमी की घोषणा 

लखनऊ। जेबी केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने क्रिटिकल हार्ट फेल्योर दवा "अज़मर्दा" की कीमत में लगभग 50 प्रतिशत की भारी कमी की घोषणा की है। अजमर्दा वह दवा है जिसमें पेटेंट अणु सैक्युबिट्रिल-वलसार्टनशामिल है। यह हार्ट फेल्योर के इलाज के लिए उपयोग की जाती है।

कीमत में कमी के बाद अजमर्दा 50 मिलीग्राम 78 रुपये प्रति टैबलेट की बजाय 39.6 रुपये प्रति टैबलेट में उपलब्ध होगी। जेबी ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने और गैर-संचारी रोगों का शीघ्र पता लगाने में तेजी लाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के 4600 हेल्थ एटीएम स्थापित करने के संकल्प के अनुरूप लखनऊ में अपनी पहली घोषणा की है।

दिलीप सिंह राठौर प्रेसिडेंट-डोमेस्टिक बिजनेस जेबी फार्मा ने कहा “कार्डियक सेगमेंट में एक अग्रणी दवा निर्माता कंपनी होने के नाते जेबी ने भारत में हार्ट फेल्योर के मरीजों के लिए अपनी अजमर्दा दवा को अधिक सुलभ और सस्ती बनाने का निर्णय लिया है। इससे मरीजों के एक बड़े वर्ग को सबसे किफायती मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण उपचार प्रदान करने की हमारी रणनीति के अनुरूप है। इस कदम के साथ, कुल उपचार पर मासिक खर्च 4500 से घटकर 2200 रूपए हो जाएगा। एचएफ दवा अस्पताल में भर्ती होने के खर्च को कम से कम 1लाख रुपए तक कम करती है।

श्री राठौड़ ने आगे कहा "हार्ट फेल्योर" एक गंभीर और भयावह स्थिति है और स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है। इसके बारे में हम उत्तर प्रदेश में 30 से अधिक और देश भर में लगभग 300 'हार्ट फेलियर' क्लीनिक स्थापित करेंगे ताकि मरीजों को जल्द उपचार मिल सकें। राज्य सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए हमने एनसीडी से लड़ने के लिए उत्तर प्रदेश से इसकी शुरूआत करने का फैसला किया।

हार्ट फेलियर क्लीनिक स्थापित होने से भारत में क्रांति ला देगा क्यूंकि यह चिकित्सा अनुपालन को सक्षम बना देगा जो की एक बड़ी समस्या है। भारत में सिर्फ 25 प्रतिशत लोगों को ही ठीक से समय पर दवाई दी जाती है। देश में सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में कुछ हार्ट फेलियर क्लीनिक की शुरुआत हो गई है लेकिन इसकी संख्या और बढ़ाने की ज़रूरत है।

प्रेस वार्ता में हार्ट फेलियर की समस्या पर प्रकाश डालते हुए डॉ ऋषि सेठी सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के इकाई अध्यक्ष एवं एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर स्कूल ऑफ इंटरनेशनल बायोडिज़ाइन सिनर्जिसिंग हेल्थकेयर इनोवेशन एंड एंट्रेप्रेन्योरशिप डीन ऑफ़ इनोवेशन किंग जॉर्जियन मेडिकल यूनिवर्सिटी ने कहा कि विश्व में 80 प्रतिशत से ज़्यादा मृत्यु नॉन कम्युनिकेबल डिसीसेस के कारण होती है। उनमें से अकेले कार्डियो वैस्कुलर डिसीसेस 25-30 प्रतिशत मौत का कारण होता है। 

कार्डियो वैस्कुलर डिसीसेस में हार्ट फेल्योर एक क्रॉनिक कंडीशन दीर्घकालिक स्थिति है जिसमें हृदय रक्त को उस तरह से पंप नहीं करता है जैसा उसे करना चाहिए। यह एक प्रोग्रेसिव क्रॉनिक सिंड्रोम है जिससे शरीर की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। हार्ट फेलियर के सामान्य कारणों में से कोरोनरी आर्टरी डिजीज भी एक है। जबकि हाइपरटेंशन, डायबिटीज और मोटापा हार्ट फेलियर के रिस्क फैक्टर्स हैं, साथ ही साँस का फूलना और सूजन इसके ख़ास लक्षण हैं।

डॉ ऋषि ने हार्ट फेलियर की ईलाज की बारे में बात करते हुए बताया "जब इजेक्शन फ्रैक्शन 40 प्रतिशत से काम होता है तो इसका मतलब ये है की आपका हार्ट ज़रूरत की हिसाब से ब्लड पंप नहीं कर रहा है और आप का हार्ट फ़ैल हो सकता है। यही वो समय है जहाँ हार्ट फेलियर का ट्रीटमेंट प्रारम्भ होना चाहिए।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाषा विश्वविद्यालय में परीक्षा को नकल विहीन बनाने के लिए उठाए गये कड़े कदम

यूपी रोडवेज: इंटर डिपोज क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में कैसरबाग डिपो ने चारबाग डिपो को पराजित किया

भाजपा की सरकार ने राष्ट्रवाद और विकास को दी प्राथमिकताः नीरज शाही