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कब थमेगी महिलाओं के विरुद्ध बदजुबानी: सोनम लववंशी

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(सोनम लववंशी, स्वतंत्र लेखिका) Sonaavilaad@gmail.com भोपालः 21 अक्टूबर, 2020 मध्यप्रदेश उपचुनाव की तपिश जैसे-जैसे बढ़ रहीं है। सियासत के रणबाकुरों की भाषा उससे भी तेज गति से बिगड़नी शुरू हो चुकी है। चुनाव जीतने की फितरत में सियासतदां किसी पर निजी लांछन लगाने से भी बाज नहीं आ रहें हैं। येन-केन प्रकारेण सत्ता का सुख मिलना चाहिए, फिर उसके लिए किसी की साख से खेलना पड़े या चरित्र से। सब करने को रणभेरी में राजनेता तैयार दिखते हैं। राजनीति में एक समय था कि शुचिता और राजधर्म की बात होती थी। आज ये बातें सिर्फ कोरी-लफ्फाजी से अधिक कुछ नहीं बची हैं। चुनाव अब लोकतंत्र का पर्व नहीं मानो आपसी लड़ाई का अवसर बन गया है। जिसमें किस पर कौन सबसे ज्यादा कीचड़ उछालेंगा। इसकी होड़ लगी रहती है। कौन भाषा के निम्नतर स्तर पर जा सकता, कभी कभी तो लगता इसी से विजेता का चुनाव होना है। भारतीय लोकतंत्र में अब चुनाव प्रचार के दौरान विकास के मुद्दों की बात नहीं होती, बल्कि निजी आक्षेप पर जोर दिया जाता है।  मशहूर शायर फैज अहमद फैज की चंद पंक्तियां याद आती है। जिसमें वे कहते हैं कि ‘बोल के लब आजाद है तेरे‘। एक बात तो तय है जब फ

खुद की तकदीर लिखने के लिए आधी आबादी को आगे आना होगा: सोनम लववंशी

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                                                                सोनम लववंशी (स्वतंत्र लेखिका) भोपालः (मध्य प्रदेश) 07 अक्टूबर, 2020 महिलाएं देश की आधी आबादी हैं। महिलाओं के बिना किसी भी राष्ट्र की तरक्की और उन्नति की कल्पना करना बेमानी लगता है। फिर इक्कीसवीं सदी के भारत में चंद महिलाएं ही क्यों पुरुष-प्रधान समाज के साथ कंधा मिलाकर चल पाने में सक्षम हो पाती हैं? क्या कारण है कि जब भी दुर्दशा जैसे शब्द जुबां पर आते हैं, तो इक्कीसवीं सदी के भारत में ‘महिलाओं की दुर्दशा‘ का शब्द स्वतः प्रस्फुटित हो उठता है? संविधान कहता समता हो। फिर समाज कैसे उसकी बातों को दरकिनार कर जाता है? इतना ही नहीं संविधान की कसमें खाने वाले कैसे मुकर जाते समता के अधिकार को अमलीजामा पहनाने से? सवाल तो जीवंत और कालजयी हैं, लेकिन उत्तर देने वाला कोई नहीं। दुःखद तो बस इतना ही है। वैसे देखा जाए तो महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का लोहा मनवाया है, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में आज भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद ही कम है। जो दुःखद कहानी है। ये बात अलग है कि चुनाव आते ही सभी राजनीतिक दल महिला आरक्षण और महिला उत्थान की

संवेदनहीन बनता जा रहा भारतीय समाज

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  सोनम लववंशी (स्वतंत्र लेखिका) भोपाल: (मध्य प्रदेश) २ अक्टूबर, 2020  आखिर देश में बलात्कार की घटनाएं कब तक घटित होती रहेगी? कब तक मासूम बेटियां हैवानियत का शिकार होती रहेगी? ऐसे अनगिनत सवाल हर क्षण दिलों-दिमाग पर छाए रहते हैं। जिस तरह से देश में यौन शोषण की घटनाएं घटित हो रही है, उन्हें देख कर तो यही लग रहा है, आज भी समाज महिलाओं के प्रति असंवेदनशील बना हुआ है। दुःखद स्थिति तो तब और अधिक बन जाती जब न्याय दिलाने के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकी जाने लगती है। आज भी महिलाओं को केवल भोग विलास की वस्तु ही समझा जा रहा है, यह भारत जैसे देश के लिए दुर्भाग्य की बात है। सदियां बदल गई। हमारे समाज ने, हमारी  संस्कृति ने आधुनिकता की चादर ओढ़ ली है लेकिन आज भी समाज में महिलाओं को उचित सम्मान नही मिल पा रहा है। पितृसत्तात्मक और रूढ़िवादी समाज मे महिलाओं को आज भी पुरुषों से कमतर ही आंका जाता है। सच्चाई तो यहां तक है कि महिलाओं के प्रति बढ़ रही हिंसा को न ही समाज की नजरों में गलत समझा जा रहा है और न ही कानूनी ढंग से कोई कठोर दंड दिया जाता है। यही वजह है कि बलात्कारियों के हौसले बुलंद हो गए है। हर दिन देश

कोरोना काल में बढ़ेगा कुपोषण का प्रभाव

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(सोनम लववंशी स्वतंत्र लेखिका) लखनऊः 01 सितम्बर, 2020 कोरोना वायरस दिन दूनी रात चैगुनी के साथ विस्तार ले रहा है। इस वायरस के बढ़ते आंकड़ो ने न केवल हमारी जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लगाया है बल्कि हमारी दिनचर्या को भी काफी हद तक प्रभावित किया है। आज हर व्यक्ति पौष्टिक आहार और अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतित नजर आ रहा है। एक कहावत है- यथा अन्नम तथा मन्नम... जैसा अन्न हम खाते है, वैसा ही हमारा मानसिक और भौतिक विकास भी होता है। वर्तमान समय में न ही पोष्टिक अन्न मिल रहा है और न ही मानसिक सुकून मिल रहा है। आज खाने की वस्तुओं में पोषक तत्वों से कही अधिक जहर की मात्रा पाई जा रही है। मिलावट के जहर ने स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। जिसके कारण कई गंभीर रोगों का खतरा बढ़ रहा है। जिनमें कुपोषण सबसे गंभीर समस्या बन हुआ है।  पोषण शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के लिए 1982 में केंद्र सरकार ने पहली बार राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की शुरुआत की थी। राष्ट्रीय विकास में सबसे बड़ी बाधा कुपोषण ही है। इसके प्रति जागरूकता फैलाने तथा देश को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए ही प्रति वर्ष पोषण सप्ताह मना

क्या जनसंख्या नियंत्रण कानून होगा? केंद्र सरकार का अगला कदम

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(सोनम लववंशी, लेखिका) लखनऊः 24 अगस्त, 2020 मोदी सरकार ने वर्षों से अटके मुद्दों यथा धारा 370, तीन तलाक और राम मंदिर को चुटकियां बजाते ही मानों खत्म कर दिया हो। इतना ही नहीं मोदी सरकार की दूरदर्शिता और सामाजिक सरोकार से जुड़े होने का ही यह परिणाम है, कि देश को नई शिक्षा नीति प्राप्त हो सकी। जिसकी दरकार वर्षों से थी। ऐसे में मोदी सरकार के सामाजिक सरोकारों से जुड़े मैराथन भरे कार्यों को देखते हुए सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या अब आने वाले दिनों में मोदी सरकार का अगला कदम जनसंख्या नियंत्रण बिल होगा? कोरोना काल वैसे तो कई चुनौतियों और संघर्षों से भरा हुआ है। कोविड-19 वायरस ने बड़ी-बड़ी महाशक्तियों को अपने आगे नतमस्तक कर दिया है। चीन से आए इस वायरस का अब तक कोई तोड़ नही मिल सका है। सम्पूर्ण विश्व आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। भारत की ही बात करें तो इस वायरस से न केवल देश में आर्थिक मंदी का दौर शुरू हुआ है, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और यहां तक कि हमारी संस्कृति पर भी इसका गहरा असर पड़ा है। आज भले ही लॉकडाउन का दौर लगभग समाप्त हो गया हो। लेकिन इस वायरस ने यह साबित कर दिया है कोई देश चाहे कितनी भी

स्वतंत्रता दिवस और देश की आधी आबादी

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सोनम लववंशी (स्वतंत्र लेखिका) लखनऊः 14 अगस्त, 2020 देश की आजादी को 73 सावन बीत गए है और हम 74 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहें लेकिन इस आजाद देश में आज भी आधी आबादी गुलामी की जंजीरों में जकड़ी हुई है। हम कहने को 21वीं सदी में जी रहे है। जहां समता और स्वतंत्रता की बात भी बहुतायत में होती है। हमारे संविधान का अनुच्छेद 14 से 18 महिलाओ को पुरुषों के समान समानता का अधिकार प्रदान करने की वकालत भी करता है। इन सब तथ्यों के बावजूद महिलाओं की स्वतंत्रता से जुड़ी बातें सिर्फ किताबी ही मालूम पड़ती हैं। जो एक दुःखद स्थिति है। ऐसे में क्यों आज भी महिलाओं के प्रति समाज की सोच नही बदल पा रही है? क्यों आज भी पितृ-सत्तात्मक सोच समाज मे हावी है? ऐसे कुछ सवाल अंदर से झकझोरने का काम करते हैं। जब समाज के सृजन में महिलाओं और पुरुषों का सामान योगदान है तो फिर क्यों महिलाओं को पुरुषों से कमतर आका जा रहा है? जीवन की धुरी में जब महिला और पुरुष समान भूमिका निभाते है। जीवन के रंगमंच पर किसी एक के बिना जिंदगी की गाड़ी नही चल सकती। फिर क्यों महिलाओं को पुरुषों से कमतर आंका जाता है? इसका जवाब स्वतंत्र देश को सोचना चाहिए

बाबा केदारनाथ की महिमा

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रूद्रप्रयाग (उत्तराखण्ड) 02 अगस्त, 2020 उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ-ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनो के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और जो केदारनाथ के दर्शन कर बद्रीनाथ की यात्रा करता है उसे केदारनाथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश एवं जीवन मुक्ति की प्राप्ति होती है। इस मन्दिर की आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, परन्तु एक हजार वर्षों से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थ है। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये १२-१३वीं शताब्दी का है। ग्वालियर से मिली एक राजा भोज स्तुति के अनुसार उनका बनवाय हुआ है जो १०७६-९९ काल के थे। एक मान्यतानुसार वर्तमान मंदिर 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया जो पांडवों द्वारा द्वापर काल में बनाये गये पहले के मंदिर की बगल में है। मंदिर के बड़े धूसर रंग की सीढ़ियों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है, जिसे स्पष्ट पढ़ना मुश्किल है। फिर भी इतिहासकार डॉ शिव प्रसाद डबराल मानते है कि शैव लोग आदि

द्वाद्श ज्योर्तिलिंग में शामिल भीमाशंकर महादेव की महत्ता

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पुणे (महांराष्ट्रा) 02 अगस्त, 2020, निखिलेश मिश्रा भीमाशंकर मंदिर भोरगिरि गांव खेड़ से 50 कि.मी. उत्तर-पश्चिम पुणे से 110 कि.मि में स्थित है। यह पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है। यह दक्षिण पश्चिम दिशा में बहती हुई रायचूर जिले में कृष्णा नदी से जा मिलती है। यहां भगवान शिव का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है। प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र में पुणे में स्थित सह्याद्रि नामक पर्वत पर है। यह स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर है। यह मंदिर भारत में पाए जाने वाले बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 3,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का शिवलिंग काफी मोटा है। इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इसी मंदिर के पास से भीमा नामक एक नदी भी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जो भक्त श्रद्वा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद 12 ज्योतिर्लिगों का नाम जापते हुए इस मंदिर के दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर होते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं। भीमाशंकर मंदिर का इतिहास भ

दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) करायेगी ओपेन बुक इक्जाम (ओबीई)

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नई दिल्लीः 18 जून 2020 दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) अपने छात्रों का ओपन बुक एग्जाम (ओबीई) कराने जा रही है। डीयू प्रशासन ने एक नोटिस जारी कर छात्रों को डाउनलोड और अपलोड करने का तरीका बताया। कोरोना पेंडेमिक के कारण डीयू में अंतिम वर्ष सेमिस्टर में पढ़ने वाले छात्रों की परीक्षाएं ओपन बुक एग्जाम (ओबीई) के जरिए कराने का फैसला किया है। फाइनल सेमिस्टर एग्जाम के साथ ही फर्स्ट, सेकेंड इयर के छात्र भी यह एग्जाम दे पाएंगे। डीन (एग्जामिनेशन) की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि पहले से तय एग्जाम की डेट पर एग्जाम शुरू होने से पांच मिनट पहले प्रश्नपत्र डीयू की वेबसाइट के जरिए छात्र डाउनलोड कर सकते हैं। और प्रश्नों के जवाब लिखने के बाद आंसर शीट भी वहीं अपलोड की जाएगी। इमरजेंसी की स्थिति में छात्रों को प्रश्नपत्र इमेल और वाट्सएप पर भी मिल पाएगा। प्रशासन की ओर से इसकी डेटशीट भी जारी कर दी गई है।  ओपन लर्निंग और नॉन कॉलेजिएट के छात्र भी वेबसाइट के जरिए ही प्रश्नपत्र डाउनलोड कर सकेंगे। एग्जाम तीन घंटे का होगा। इसमें दो घंटे प्रश्नों के जवाब लिखे और एक घंट प्रश्नपत्र डाउनलोड और आंसर शीट डाउन को स्कैन कर डाउन

इस साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहाः परमिशन दी तो भगवान जगन्नाथ माफ नहीं करेंगे

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नई दिल्लीः 18 जून 2020  कोरोन के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए एनजीओ द्वारा दायर पिटीशन की सुनवायी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में 23 जून से शुरू होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब महामारी फैली हो, तो ऐसी यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती, जिसमें बड़ी तादाद में भीड़ आती हो। लोगों की सेहत और उनकी हिफाजत के लिए इस साल यात्रा नहीं होनी चाहिए। चीफ जस्टिस की बेंच ने ओडिशा सरकार से कहा कि इस साल राज्य में कहीं भी रथयात्रा से जुड़े जुलूस या कार्यक्रमों की इजाजत न दी जाए।  चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने भुवनेश्वर के एनजीओ ओडिशा विकास परिषद द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर पिटीशन पर कहा कि कोरोना के बीच हमने इस साल रथयात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे। रथयात्रा से कोरोना फैलने का खतरा रहेगा। एनजीओ ने अपने पिटीशन कहा था कि अगर लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर कोर्ट दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगा सकता है तो रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती।   हालाकि मंदिर समिति ने रथयात्रा को बिना श्रद्धालुओं के निकालने का फैसला लिया था। रथ बनाने क

लद्दाख बार्डर पर चीनी सैनिकों की वजह तनाव का माहौल

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नई दिल्लीः 26 मई, 2020 चीन-भारत बार्डर पर इन दिनों चीनी सेना के रवैये से तनाव का माहौल है। पूरी दुनिया कोरोना से लड़ाई लड़ रही है वहीं चीन के सैनिक बार्डर पर रोज नया विवाद खड़ा कर रहे हैं। प्रोफेशनल होने का दावा करने वाली चीन की सेना नें पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग त्सो झील वाले इलाके में 5 मई को हुई झड़प के वक्त चीन के सैनिकों ने भारतीय जवानों पर डंडों, कांटेदार तारों और पत्थरों से अटैक किया था। एनएनआई द्वारा सूत्रों के हवाले दी गयी  रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक चीन के सैनिकों ने गुंडों जैसा बर्ताव किया। चीन के सैनिक संख्या में भारतीय जवानों से ज्यादा थे, फिर भी अन-प्रोफेशनल तरीके से पेश आए और बेवजह की उग्रता दिखाई। उनका रवैया बिल्कुल गुंडों जैसा था। उन्होंने भारतीय जवानों के चारों ओर टिड्डियों जैसा घेरा बना लिया था।   लद्दाख में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच एक महीने में तीन बार झड़प हो चुकी है। चीन ने नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारतीय इलाकों में घुसपैठ कर अस्थाई ठिकाने बना लिए हैं। उसने एलएसी के पास करीब 5 हजार सैनिक तैनात कर दिए हैं। जवाब में भारतीय सेना ने भी जवानो

विशाखापट्टनम: एलजी पॉलिमर्स के प्लांट में गैस लीक होने से 8 की मौत हजारों लोग बिमार

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  आंध्र प्रदेशः 07 मई, 2020  विशाखापट्टनम से 30 किलोमीटर दूर वेकटपुरम गांव में गुरुवार को एलजी पॉलिमर्स केमिकल फैक्ट्री में गैस लीक होने से लगभग 8 लोगों की मौत हो चुकी है। गैस एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री के प्लांट से प्रातः 2.30 बजे से 3.30 के लीक होनी शुरू हो गयी और लगभग 4 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 5 गांवों में फैल गई। जिससे एक हजार से ज्यादा लोग बीमार हो गये हैं। सैकड़ो लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इसमें कई बच्चे हैं, बच्चों की हालत नाजुक है। हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी से फोन पर बात कर घटना की जानकारी ली एवं बचाव के आवश्यक कदम उठाने की बात कही।  2 लोगों की मौत दहशत में भागते समय हो गई  बताया जाता है कि मारे गए 8 लोगों में से 2 की मौत दहशत में भागते समय हुई। इनमें से एक आदमी कंपनी की दूसरी मंजिल से गिरा, जबकि दूसरा कुएं में गिर गया। हादसे की खबर लगते ही कई लोग मौके पर पहुंचे, लेकिन वहीं बेहोश होकर गिर गए। आसपास के घरों में भी लोग बेहोश मिले। कुछ लोगों के शरीर पर लाल निशान पड़ गए। फाइबर, रबर, पाइप बनाने में इस्तेमाल होने वाली

लॉकडाउन के दौर में किसानों की भी सुधि लें केंद्र एवं राज्य सरकारेः कृष्ण झा

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नई दिल्ली। सुरसा के मुंह की तरह लगातार अपना मुंह बढ़ाता जा रहा कोरोना इन दिनों पूरे देश दुनिया में दहशत का पर्याय बन गया है। हर व्यक्ति वायरस से अपनी जान बचाने के बारे में सोच रहा है। हर शहर में सन्नाटा है, गांव की हर चैपाल सूनी है। डर है कि अगर यह शहर से देहात में फैल गया तो संभालना मुश्किल हो जाएगा। केंद्र सरकार ने जहां एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया है वहीं, राज्य सरकारें घरों में राशन भेजने का इंतजाम करने का एलान कर रही हैं। हालांकि इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि किसान किसी की भी चिंता का विषय नहीं हैं। यह कहना है देश के जाने माने राजनीतिक रणनीतिकार, पॉलिसी मेकर व किसान नेता तथा अखिल भारतीय प्रधान संगठन के राष्ट्रीय संयोजक कृष्ण झा का। कृष्ण झा ने राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी एम सिंह की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि सरकारों को लॉकडाउन की वजह से बद से बदतर होती किसानों की स्थिति पर भी सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए। क्या हमने कभी ये जानने की कोशिश की है कि अपनी बाजुओं की ताकत से देश का पेट भरने वाले अन्नदाता के पास खुद के खाने के लिए अन्न

कोरोना से करें बचाव, अफवाहों पर न दें ध्यान

  लखनऊ। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) ने मिथकों और भ्रांतियों को तोड़ने के लिए की एक एडवाइजरी जारी की है। जैसे-जैसे कोरोना दुनिया भर में फैलता जा रहा है, वैसे-वैसे इसको लेकर तमाम तरह के भय और भ्रांतियां भी सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रही हैं। इसमें से कुछ सच हैं तो कुछ कोरे अफवाह। हालात यह है कि जितने मुंह, उतनी बातें। सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के इस दौर में ये सब तेजी से फैल रहे हैं, जो इस महामारी के बीच फैले हुए डर, अनिश्चितता और उहापोह की स्थिति को और बढ़ा रहे हैं।   डब्ल्यूएचओ ने जारी की एडवाइजरी विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह बार-बार कहना है कि अगर आप इस वायरस से अपने आप को बचाना चाहते हैं तो अपने हाथ को बार-बार धुले ताकि अगर आप कहीं से इस वायरस के संपर्क में आए हों तो वह हाथों के माध्यम से आपके आंख, मुंह और नाक जैसे संवेदनशील इंद्रियों तक ना पहुंचे। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक संदेश यह भी कहा जा रहा है कि कोरोना बुजुर्गों और बच्चों के लिए अधिक खतरनाक है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ऐसा नहीं है, कोरोना सभी उम्र के लोगों के लिए उतना ही खतरनाक है, जितना बच्चों और बुजुर्गों के लिए

प्रधानमंत्री के आह्वान पर 116 करोड़ की सहायता राशि दी देश के अर्द्धसैनिक बलों ने

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लखनऊ। देश की सुरक्षा का मामला हो या देश के अन्दर विभिन्न प्रकार के आपदा का मामला हो हर मोर्चे पर सीना तान कर खड़े हमारे देश के जवानों ने कोरोना से जंग में भी आर्थिक सहायता देने में पीछे नही हटे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर अर्द्धसैनिक बलों ने अपने एक दिन के वेतन से कुल 116 करोड़ की भारी धनराशि राहत कोष में प्रदान किया। 116 करोड का चेक भारत के गृह मंत्री शाह को सौंपा। धन्य हैं हमारे देश के जवान।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 1.70 करोड़ रूपये के राहत पैकेज का एलान किया

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने आज कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए गरीबों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। वित्त मंत्री आज पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि आज के इस राहत पैकेज का उद्देश्य गरीबों में सबसे गरीब लोगों तक पहुंचना है, ताकि उनके हाथों में भोजन और पैसा हो जिससे वे आवश्यक आपूर्ति खरीदने और आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना न करें। कोविड-19 से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए बीमा योजना सफाई कर्मचारी, वार्ड-बॉय, नर्स, आशा कार्यकर्ता, पैरामेडिक्स, तकनीशियन, डॉक्टर और विशेषज्ञ और अन्य स्वास्थ्यकर्मी को विशेष बीमा योजना द्वारा कवर किया जाएगा। कोई भी स्वास्थ्य कर्मी, जो कोविद-19 रोगियों का इलाज कर रहे हैं, उनके साथ कोई दुर्घटना हो  हो जाती है तो उनके परिवार को इस योजना के तहत 50 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जाएगी। इस योजना में लगभग 22 लाख स्वास्थ्य कर्मचारियों को कवर किया जायेगा। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को शामिल किया जायेगा। सुनिश्चित किया जाएगा कि ए

लोगों को बीमारी से लड़ने का साहस बनाए रखना जरूरी: प्रधानमंत्री

  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से देश भर के प्रिंट मीडिया के बीस से अधिक पत्रकारों और हितधारकों के साथ बातचीत की। पत्रकार चैदह स्थानों से बातचीत में शामिल हुए और ग्यारह अलग-अलग भाषाओं में बातचीत करते हुए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मीडिया दोनों से जुड़े। प्रधानमंत्री ने कोविड-19 की चुनौतियों से निपटने में मीडिया के योगदान की सराहना की  प्रधानमंत्री ने कहा कि मीडिया ने देश के प्रत्येक सुदूरवर्ती इलाकों तक सूचना का प्रसार करने में प्रशंसा योग्य भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि मीडिया का नेटवर्क अखिल भारतीय है और यह शहरों और गांवों में फैला हुआ है। यह मीडिया को इस चुनौती से लड़ने और सूक्ष्म स्तर पर इसके बारे में सही जानकारी फैलाने के लिए अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्र जबरदस्त विश्वसनीयता रखते हैं और किसी क्षेत्र का स्थानीय पृष्ठ लोगों द्वारा विस्‍तृत रूप से पढ़ा जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि इस पृष्ठ में प्रकाशित लेखों के माध्यम से कोरोनावायरस के बारे में जागरूकता फैलाई जाए। यह आवश्यक है कि लोगों को इस बात की जानकारी दी जाए कि परीक

लुमिनस पाॅवर ने चार नए डिज़ाईनर पंखों को लांच कर ग्राहकों को लुभाने की कोशिश की

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लखनऊ। लुमिनस पाॅवर टेक्नाॅलाॅजी ने सिग्नेचर रेंज के तहत अपने प्रीमियम पंखों के सेगमेंट में विस्तार करते हुए चार नये पंखे थीम्स न्यूयार्क मैडिसन, जयपुर महल, रियो बेलएयर एवं रियो कबाना शामिल किया है। यह खास सिग्नेचर रेंज प्रीमियम श्रेणी के लिए तैयार की गई है। इसके संपूर्ण डिज़ाईनर पंखे बहुत तेजी से बिक रहे हैं और कंपनी के व्यवसाय में 25 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं। लुमिनस के पंखों में पारंपरिक कलारूपों के साथ जरदौज़ी का उपयोग किया गया है और उन्हीं के आधार पर इन फैंस का नाम रखा गया है। घूमर, बंधेज़, मीनाकारी, संगानेरी के बाद अब महल में जयपुर के महलों के शाही लुक एवं ऐतिहासिक संबद्धता, रियो कबाना कबाना के समुद्री तटों की शांति से प्रेरित है। न्यूयार्क शहर के मैडिसन स्क्वैयर से प्रेरित यह फैन इंटीरियर में स्लीक, क्लासी व आधुनिक एस्थेटिक्स का समावेश करता है।  लुमिनस पाॅवर के सीनियर वाईस प्रेसिडेंट जितेंद्र अग्रवाल़ ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2019 सिग्नेचर फैन श्रृंखला के लिए बहुत ही अच्छा साल रहा। हमने 100 प्रतिशत की दर से वृद्धि की। हम 2020 में भी इसी दर से बढ़ना चाहते हैं। हमारा

वेदांतु के रिवाईज़ इंडिया द्वारा फ्री में करें परीक्षाओं की तैयारी

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लखनऊ। बोर्ड परीक्षाएं नज़दीक आते ही लाईव आनलाईन लर्निंग में अग्रणी, वेदांतु द्वारा कक्षा 10 (सीबीएसई बोर्ड) के विद्यार्थियों को मैथ्स, साईंस, इंग्लिश एवं सोशल साईंसेस जैसे मुख्य विषयों की तैयारी करवाने के लिए एक विशेष अभियान रिवाईज़ इंडिया लाॅन्च किया है। रिवाईज़ इंडिया भारत का सबसे बड़ा फ्री रिवीज़न कैंप है, जो 20 फरवरी से 22 फरवरी 2020 के बीच आयोजित होगा। इसमें भाग लेने के लिए विद्यार्थियों के लाईव आनलाईन कैंप में 2 लाख से अधिक विद्यार्थी पहले ही रजिस्टर किए जा चुके हैं और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अभी जारी हैं। यह अभियान भारत के सर्वश्रेष्ठ टीचर्स एवं वेदांतु के को-फाउंडर्स द्वारा डिज़ाईन किया गया है, ताकि विद्यार्थियों द्वारा कक्षा 10 का पूरा पाठ्यक्रम 72 घंटों में रिवाईज़ किया जा सके। वेदांतु के विशेषज्ञ टीचर्स महत्वपूर्ण शाॅर्टकट्स, रिवीज़न नोट्स एवं वीडियो साझा करेंगे, पिछले साल के प्रश्नपत्र एवं टिप्स व ट्रिक्स के बारे में बताएंगे, ताकि विद्यार्थी अपनी बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर अंक हासिल कर सकें। पूरे सिलेबस को कवर करते हुए लाईव नाॅनस्टाॅप फ्री रिवीज़न 10वीं सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं के सभ