यूपी विधानसभा में ‘उत्कृष्ट विधायक’ पुरस्कार देने की होगी शुरुआत: सतीश महाना

  • उत्तर प्रदेश की विधानसभा को देश में एक प्रतिमान के रूप में सराहा गया: सतीश महाना

  • लोकतान्त्रिक व्यवस्था प्रतिस्पर्घा की जगह सहयोग की भावना दिखनी चाहिए: सतीश महाना

  • चारो स्तम्भों को एक साथ मिलकर लोकतन्त्र को मजबूत करना चाहिए: सतीश महाना 

नागरिक सत्ता, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने आज विधान भवन स्थित राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन हॉल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा में 11 एवं 12 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में आयोजित 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में उत्तर प्रदेश विधानसभा में हो रहे बदलावों और नए प्रयासों पर चर्चा हुई। सम्मेलन के दौरान उत्तर प्रदेश की विधानसभा को देश में एक प्रतिमान के रूप में सराहा गया। साथ ही इन बदलावों को देश की दूसरी विधानसभाओं में भी लागू करने पर विचार किया गया। सम्मेलन में कई विधानसभा अध्यक्षों ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के भ्रमण करने पर भी अपनी सहमति जताई है।

श्री महाना ने कहा कि 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में देश की विधानसभाओं के संचालन के लिए विधायी निकायों के कार्य संचालन और प्रक्रिया के नियमों की व्यापक समीक्षा की करने एवं साथ ही सदस्यों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आदर्श समान नियम बनाए जाने का संकल्प लिया गया।

श्री महाना पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में शामिल हो कर आज राजधानी लखनऊ वापस लौटने पर पत्रकारों को बताया कि प्रश्नकाल स्थगित होने को लेकर सम्मेलन में चिंता व्यक्त की गई। परन्तु यूपी विधानसभा के पहले तीन सत्रों में प्रश्नकाल एक बार भी स्थगित न होने पर सम्मेलन में इसे सराहा गया। उन्होंने बताया कि नए सत्र से उत्तर प्रदेश की विधानसभा में ‘उत्कृष्ट विधायक’ पुरस्कार देने की शुरुआत होगी। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। जो विधायक के आचार व्यवहार, क्रिया कलाप और उसके भाषणों इत्यादि पर विचार करके उसे पुरस्कृत करने का काम करेगी। ‘उत्कृष्ट विधायक’ का चयन करके उनकी तस्वीर भी विधानसभा परिसर में लगाई जाएगी।

श्री महाना ने बताया कि सम्मेलन में संवैधानिक उपबंधों, विधायी क्रियाओं और प्रक्रियाओं में सभी वर्गों, विशेषकर महिलाओं और युवाओं की शिक्षा के लिए समस्त संभव उपायों को करने का संकल्प लिया गया। विधान मण्डल के शक्ति केन्द्र के रूप में समितियों की भूमिका को मान्यता देते हुए, सभी विधायी निकायों की समिति प्रणाली को सशक्त करने के लिए सार्थक कदम उठाने पर भी विचार विमर्श किया गया।

सम्मेलन में विधानसभा कार्यवाही को अधिक से अधिक चलाने पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो यूपी विधानसभा को रात 12 बजे तक भी संचालित किया जाएगा।

विधानमंडलों की वित्तीय स्वायत्तता की प्राप्ति के मामले में एआईपीओसी को राज्य सरकार के साथ व्यापक विचार विमर्श के लिए अधिकृत किया गया। इसके अलावा पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में संकल्प लिया गया कि विधायी निकाय वृहत दक्षता, पारदर्शिता और परस्पर जुडाव के हित में विधायी निकायों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड में सम्मिलित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएगें।  

श्री महाना ने बताया कि यूपी विधानसभा के प्रति जो वर्षो पुरानी एक धारणा बनी थी उसमें अब बदलाव होता दिख रहा है। सम्मेलन में यूपी के विधायकों की योग्यता के बारे में बताया गया। साथ ही अलग अलग विधायक समूहों के साथ हुई बैठकों के साथ ही सम्मेलन में उपस्थिति सभी प्रतिनिधियों ने इस बदलाव को सराहा। जिससे पूरे देश की विधानसभाओं में एक संदेश गया। उन्होंने कहा कि अब यूपी विधानसभा की पूरी देश में चर्चा हो रही है जो प्रदेश की जनता के लिए गर्व की बात है।

श्री महाना ने कहा कि लोकतान्त्रिक व्यवस्था प्रतिस्पर्घा की जगह सहयोग की भावना दिखनी चाहिए, चारो स्तम्भों को एक साथ मिलकर लोकतन्त्र को मजबूत करना चाहिए। लोकतंत्र में सबको मिलकर काम करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में संवैधानिक उपबंधों, विधायी कियाओं और प्रक्रियाओं में सभी वर्गों, विशेषकर महिलाओं और युवाओं की शिक्षा के लिए समस्त संभव उपायों को करने का संकल्प लिया गया। साथ ही विधायी निकायों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड में सम्मिलित करने के लिए हर संभव कदम उठाये जाने का संकल्प लिया गया। यह भी संकल्प लिया गया कि भारत को जी-20 सम्मेलन कराने का जो अवसर मिला है उसमें देश की सारी विधान सभायें जन जागरुकता अभियान चलायें। प्रेस वार्ता के दौरान विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे एवं अन्य अधिकारी कर्मचारी भी उपस्थित रहे।





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