कोविड-19 से बचाव पर शोध करने वाले सभी छात्रों को मिलेगा 17 हजार रुपए का पुरस्कारः कमला रानी

 



लखनऊ: 20 मई, 2020
डाॅ एपीजे प्राविधिक विश्वविद्यालय में आयोजित एक वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमल रानी ने कहा कि कोविड-19 से बचाव पर शोध करने वाले सभी स्टूडेंट्स को 17 हजार रुपए का पुरस्कार मिलेगा। इस पुरस्कार में 11 हजार रुपए विश्वविद्यालय की ओर से और छः हजार रुपये पीएसआईटी, कानपुर की ओर से दिए जाएंगे। शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए विकसित किये गये उपकरणों की प्रदर्शनी हेतु आयोजित इस वेबीनार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि एकेटीयू के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा कोविड-19 महामारी में उत्पन्न हुयी चुनौतियों को अवसरों में तब्दील कर नवाचारों के रूप में सृजित करने का कार्य किया है। उन्होंने प्रत्येक प्रोटोटाइप को पीएसआईटी, कानपूर द्वारा प्रदान की जाने वाली छह हजार रूपये की प्रोत्साहन धनराशि के चेक वितरित किये। उन्होंने कहा कि विवि प्रो पाठक के नेतृत्व में शोध एवं नवाचारों के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी इसी तरह से नवाचार के कार्य करते रहें। प्राविधिक शिक्षा विभाग शोध एवं नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध है। 


वेबीनार की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने कहा कि विवि ने कोविड-19 महामारी एवं लॉक डाउन जैसी विषम परिस्थियों में  प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमल रानी के निर्देशन में ऑनलाइन माध्यम से टीचिंग-लर्निंग, इनोवेशन और शोध के कार्य कुशलता से कर रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 आईडियाथन चैलेन्ज में भी उत्कृष्ट आईडिया प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि  विवि प्रतिबद्धता से शिक्षण प्रशिक्षण और नवाचारों के कार्य कर रहा है। 


 



इस अवसर पर इस अवसर पर विवि के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों द्वारा विकसित किये गए उपकरणों को वीडियो के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। एकेटीयू के सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज, लखनऊ एवं आईटीएस इंजीनियरिंग कॉलेज ग्रेटर नोएडा के संयुक्त प्रयासों से विकसित किया गया बहुउद्देशीय रोबोट आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा। यह रोबोट डॉ अनुज कुमार शर्मा और महीप सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने विकसित किया गया है। यह रोबोट अस्पतालों के वार्डों में भोजन और दवाइयां ले जाने में समक्ष है। साथ ही अस्पतालों के वार्डों को अल्ट्रावाइलेट किरणों एवं सैनिटाइजर स्प्रे के माध्यम से सेनेटाइज करने में सक्षम है। बिना मानवीय सहायता के रोगियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए व्हील चेयर का काम करने में, व्यक्तियों की थर्मल स्कैनिंग भी करने में सक्षम है। साथ ही रोबोट में लगा कैमरा वार्ड में रोगियों की निगरानी करने का कार्य भी कुशलता से कर सकता है। शिक्षकों द्वारा बनाये गये 24 प्रोटोटाइप प्रस्तुत किये गये जिसमें फेसशील्ड, डिजिटल हैण्ड बैंड, पोर्टेबल सेनेटाइजेशन मशीन, सेनेटाइजेशन चैबर, शुद्धि सुरंग, ऑटोमेटिक एवं मेनुअल सेनेटाइजर डिस्पेंसर और नो-टच वासबेसिन के प्रोटोटाइप शामिल हैं। 



इस अवसर पर प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा राधा एस चैहान ने बतौर विशिष्ट अतिथि, विवि के प्रति कुलपति प्रो विनीत कंसल, सीएएस के निदेशक प्रो मनीष गौड़,आईईटी के निदेशक प्रो एचके पालीवाल, एफओए की डीन प्रो वंदना सहगल, विभिन्न सम्बद्ध संस्थानों के निदेशको ने प्रतिभाग किया। 


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