प्रदेश में भाषा विश्वविद्यालय बनाए जाने की आवश्कयता: मुख्यमंत्री

 



लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाषा अभिव्यक्ति का आधार है। भाषा के बिना संवाद स्थापित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि दुनिया को साहित्य का पाठ भारत ने पढ़ाया है। पूरे विश्व को पहला साहित्य भारत ने ही ऋग्वेद के रूप में दिया। हिन्दी देश के बड़े भू-भाग को जोड़ती है। मुख्यमंत्री आज यहां उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘भारतीय भाषा महोत्सव-2020’ के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। तीन दिवसीय यह महोत्सव 24 फरवरी तक चलेगा। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि शब्द को जिस भावना से कहा गया, वही उसकी ताकत को बढ़ाता है। भारतीय मनीषियों ने शब्द को ब्रह्म कहा। ब्रह्म ही सत्य और शाश्वत है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने हिन्दुस्तानी अकादमी की त्रैमासिक पत्रिका के विशेषांक तथा पुस्तक ‘संगीत श्रीरामायण’ का लोकार्पण किया।



मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय साहित्य काफी समृद्ध है। तुलसीदास ने अवधी में रामचरितमानस के माध्यम से देश को स्वाधीनता की शक्ति को जगाने की ऊर्जा दी। गीता में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की जो बातंे कही गई हैं, वह सत्य है। उन्होंने कहा कि भारत की हर भाषा में रोजगार की असीम सम्भावनाएं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से काशी विश्वनाथ मन्दिर का सौन्दर्यीकरण किया जा रहा है। आने वाले समय में काशी विश्वनाथ मन्दिर विश्व में एक धाम के रूप में जाना जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में सुगम पूजन की व्यवस्था की गई है। संस्कृत के ज्ञाता लोगों को पौरोहित्य कार्य हेतु प्रशिक्षित किया गया। वहां श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए पुष्पों का उपयोग अगरबत्ती, इत्र व कम्पोस्ट बनाने में किया जा रहा है। 



मुख्यमंत्री ने कहा कि देश और दुनिया में ऐसे कई विश्वविद्यालय हैं, जहां संस्कृत और हिन्दी पढ़ाने के लिए योग्य शिक्षकों की आवश्यकता है। इसके लिए जरूरी है कि एक भाषा विश्वविद्यालय बने। प्रदेश सरकार युवाओं के लिए इंटर्नशिप योजना लेकर आयी है। यह योजना देश-दुनिया के लिए युवाओं को एक मंच देने का कार्य करेगी। विश्वविद्यालयों को इस योजना से जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर जनपद में एक यूथ हब बनाया जा रहा है। आज वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री लोगों को हिंदी में संबोधित करते हैं। वे भावनात्मक रूप से पूरी दुनिया को भारत से जोड़ते हैं। आज विश्व के विभिन्न देशों के लोग भारत आकर हिंदी में संवाद करने के लिए हिंदी सीख रहे हैं, यह एक नई शुरुआत है।



उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ0 राजनारायण शुक्ल ने अपने सम्बोधन में कहा कि भाषा और संस्कृति देश की आभा होती है। भाषा नहीं बचेगी तो संस्कृति भी नहीं रहेगी। हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयागराज के सभापति प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि भाषा को रोजगारपरक बनाए जाने की आवश्यकता है। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति आलोक कुमार राय ने कहा कि भाषा व साहित्य के उन्नयन के लिए हम सब को प्रयास करने की आवश्यकता है। प्रमुख सचिव भाषा जितेन्द्र कुमार ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर देश व विदेश से आये भाषा विद्वान व बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।


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