जाति विहीन समाज से ही राष्ट्र का विकास सम्भव: प्रो एसके चहल


लखनऊ। बीबीएयू में बीआर अम्बेडकर एज ए ऑर्गेनिक इंटेलेक्चुल एवं जोतिबा फूले फ्रॉम फूकोल्ट परस्पेक्टिव विषय पर आयोजित व्याख्यान में हरियाणा के प्रख्यात इतिहासकार प्रो एसके चहल ने कहा कि 19 शताब्दी में ज्योतिबा फूले ने अपन पुस्तक ‘किसान का कोड़ा‘ में किसानों की दुर्दशा का जिक्र किया था जो कि वर्तमान समय में भी किसानों की वही स्थिति है और उन्होंने बताया कि फुले पूंजीवादी व्यवस्था के घोर विरोधी थे। उन्होने कहा कि राष्ट्र के विकास में जाति व्यवस्था बड़ी बाधा है। जाति विहीन समज की स्थापना से ही देश का विकास सम्भव है। बेहतर समाज और मजबूत भारत के निर्माण के लिए अंबेडकर के विचारों को प्रसारित करने के लिए बीबीएयू की बड़ी भूमिका है। प्रो एस विक्टर विभागाध्यक्ष और रजिस्ट्रार ने सत्र की अध्यक्षता की और कई संकायों के प्रोफेसर और बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया। 


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