अखण्ड भारत की असल आज़ादी का दिन है 21 अक्टूबर: डॉ देशराज सिंह

  • आजाद हिन्द फौज के ध्वज को सलामी देकर सुभारती विश्वविद्यालय में धूमधाम से मनाया गया अखण्ड भारत का स्वतंत्रता दिवस

  • दीपावली मेला एवं प्रदर्शनी का भी हुआ आयोजन

लखनऊ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय में अखण्ड भारत का स्वतन्त्रता दिवस हर्षाल्लास के साथ मनाया गया। विश्वविद्यालय परिसर में हर ओर जोश जज़्बा व देशभक्ति का जुनून नज़र आया। 

आज मांगल्या प्रेक्षागृह परिसर में मुख्य अतिथि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस शोधपीठ के चेयरमैन डॉ देशराज सिंह एवं कुलपति मेजर जनरल डॉ जीके थपलियाल ने आज़ाद हिन्द फौज का ध्वजारोहण किया। तत्पश्चात सामूहिक आजाद हिन्द गान एवं 6 बटालियन राजपूत रेजीमेंट, विश्वविद्यालय की 70 यूपी एनसीसी बटालियन, एनएसएस, तथा विश्वविद्यालय में कार्यरत पूर्व सैन्य अधिकारियों ने परेड निकाल कर आज़ाद हिन्द के ध्वज को सलामी दी।

मांगल्या प्रेक्षागृह में कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ देशराज सिंह, उत्तराखंड सरकार के पूर्व मंत्री रविदासाचार्य सुरेश राठौर, राष्ट्रीय कवि हरिओम पवार, पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ मैराजुद्दीन अहमद, उमालोक के संस्थापक आलोक भटनागर, सुभारती ग्रुप के संस्थापक डॉ अतुल कृष्ण, तथागत पीठ के चेयरमैन डॉ आरबीएस पुष्कर, कुलपति मेजर जनरल डॉ जीके थपलियाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ शल्या राज ने दीप प्रज्जवलन कर किया। बौद्ध विद्वान भंते डॉ चन्द्रर्कीति ने मंगलाचरण वंदना प्रस्तुत की। फाईन आर्ट के विद्यार्थियों ने सुभारती गान प्रस्तुत किया।

कुलपति मेजर जनरल डॉ जी.के. थपलियाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी को अखण्ड भारत के स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय पूरे विश्व में भारत की प्राचीन संस्कृति एवं राष्ट्रीयता का प्रतीक बन चुका है और भविष्य में विश्वविद्यालय का यही प्रयास रहेगा कि सभी विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ सेवा एवं संस्कारों व नैतिक मूल्यों को रोपित करके व नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के द्वारा अखण्ड भारत को बनाने हेतु किये गये संघर्षों से प्रेरणा दिलाई जाए।

सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ अतुल कृष्ण ने अखण्ड भारत के स्वतन्त्रता दिवस पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने जय हिन्द के उद्घोष से सम्बोधित करते हुए 21 अक्टूबर का महत्व व शोध पीठ का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन वर्ष 1943 में सिंगापुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अखण्ड संपूर्ण भारतवर्ष को आजाद घोषित किया। 

डॉ अतुल कृष्ण ने कहा कि युवाओं को इतिहास की सच्चाई से रूबरू कराना बहुत आवश्यक है, ताकि जिन महापुरूषों ने हमारे देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दी है, उन सभी महापुरूषों को नमन करके उनसे हमारी नई पीढ़ियां प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को संकल्प एवं प्रार्थना दिवस के रूप में घोषित किया जाना चाहिए ताकि उस दिन विखण्डित हुए भारत को पुनः जोड़ने का संकल्प लिया जाए एवं विभाजन के समय मारे गए लाखों देशवासियों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की जाए। उन्होंने विशेष बताया कि सुभारती परिवार 21 अक्टूबर के दिन को भारत के वास्तविक स्वतन्त्रता दिवस के रूप में हर्षोल्लास से मनाता है। जिसमें विद्यार्थियों को आजाद हिन्द के नायकों के बलिदान के साथ मॉ भारती के लिये अपने प्राणों की आहूति देने वाले असंख्य महापुरूषों के बलिदान से रूबरू कराया जा रहा है। 

उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह करते हुए कहा कि 21 अक्टूबर के इतिहास को भारत सरकार देशवासियों को अवगत कराएं और नेताजी के विचारों से देश को अखण्ड बनाने का कार्य करें। उन्होंने भारत सरकार से विशेष आग्रह करते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु की सच्चाई को उजागर करने हेतु प्रयास किये जाए। 

उन्होंने मुख्य रूप से भारत को अखण्ड राष्ट्र बनाने हेतु संयुक्त राष्ट्र ऑफ साऊथ एशिया के निमार्ण का सूत्र दिया जिसमें प्रेम, करूणा एवं मैत्री के भाव से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका आदि सब एक होकर विश्व में ऊर्जावान शक्ति के रूप में उभरेंगे। राष्ट्रकवि हरिओम पवार ने राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण कविता सुनाकर सभी को देशभक्ति की धारा में प्रवाहित कर दिया।

मुख्य अतिथि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस शोधपीठ के चेयरमैन डॉ. देशराज सिंह ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बलिदान की बदौलत आज हम आज़ाद भारत में सांस ले पा रहे है। उन्होंने कहा कि आज़ादी भीख मांगने से नही बल्कि आज़ादी छीनकर प्राप्त की जाती है और नेताजी ने हमेशा संघर्ष के मार्ग को चुनकर देश की सेवा की है। उन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन से जुड़ी घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का मानना था कि शक्तिशाली अंग्रेजों से अहिंसा के मार्ग पर चलकर आज़ादी नही हासिल की जा सकती है। इसलिये उन्होंने साहस दिखाते हुए अंग्रेजों के विरूद्ध बल का प्रयोग किया और उनका मुंह तोड़ जवाब दिया। उन्होंने बताया कि नेताजी ने आईसीएस की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था लेकिन जब अंग्रेजों को इसकी खबर हुई तो उन्होंने षडयंत्र करते हुए नेताजी को चौथे स्थान पर घोषित कराया। उन्होंने कहा कि नेताजी के मन में राष्ट्र प्रेम कूट कूट कर भरा हुआ था इसलिये उन्होंने आलीशान आईसीएस की नौकरी छोड़कर अंग्रेजों से लोहा लेने का मन बना लिया। उन्होंने कहा कि अगर नेताजी होते तो पाकिस्तान कभी नही बनता और भारत अखण्ड रहता। उन्होंने कहा कि नेताजी ने अपनी फौज में महिलाओं को स्थान दिया और हर भारत के हर व्यक्ति को भारतीय होने की अनुभूति कराई।

दूसरे सत्र के मुख्य अतिथि मेरठ लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि इतिहास की सच्चाई को जिस प्रकार सुभारती विश्वविद्यालय अपने निजी प्रयासों से देश के सामने ला रहा है वह बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय देशभक्ति की पाठशाला है और यहां के कण कण में मॉ भारती के प्रति आदर व देश प्रेम समाया हुआ है। उन्होंने कहा कि आज का दिन इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन है और जिस तरह सुभारती विश्वविद्यालय ने नेताजी के सपनों को साकार करने का काम किया है वह पूरे देश के लिये प्रेरणादायी है।

सांसद श्री राजेन्द्र अग्रवाल ने सुभारती लॉ कॉलिज के पुरातन छात्र मौहम्मद आरिफ राणा को एडीजी के पद पर चयन होने पर सम्मानित किया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक एवं खेल प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ शल्या राज ने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय देश को स्वतन्त्र कराने में अपना बलिदान देने वाले महापुरूषों के आदर्शें पर चलकर देश को सशक्त बनाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर का दिन गौरवान्वित होने का दिन है और आज के दिन देश के युवाओं को इतिहास की सही सच्चाई से अवगत होकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अखण्ड भारत को पुनः स्थापित करने का संकल्प लेना चाहिए।

समारोह में ईश्वर चन्द्र विद्या सागर स्कूल के नन्हे मुन्ने बच्चों ने देशभक्ति से परिपूर्ण प्रस्तुतियां देकर सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ ही फाइन आर्ट कॉलिज के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। सुभारती परिवार द्वारा अतिथियों को स्मृति चिहृ देकर सम्मानित किया गया।

शाम 5ः30 बजे सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने बीटिंग दी रिट्रीट कार्यक्रम द्वारा ध्वज को सुरक्षित किया और मेरठ के इतिहास में आज़ाद हिन्द के ध्वज को सलामी देकर सभी को गर्व की अनुभूति कराई। 


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