भाषा विश्वविद्यालयः अरब और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंध पर व्याख्यान


लखनऊ(ना.स.)। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के अरबी विभाग के तत्वावधान में नेशनल कौंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज नई दिल्ली की सहयोग से “मोहद्दिसे कबीर मौलाना हबीबुर रहमान आजमी मेमोरियल लेक्चर सीरीज” के अंतर्गत एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के अरबी भाषा के प्रमुख विद्वान और साहित्यकार प्रो. रिजवान उर रहमान ने अरब और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंध विषय पर प्राचीन ग्रंथों के संदर्भ से विचार व्यक्त किये।

विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, प्रो रिजवान ने कहा कि अरब और भारत के बीच संबंध बहुत पुराने हैं। इन संबंधों ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक, आर्थिक और धार्मिक आदान प्रदान को बढ़ावा दिया है। भारत के तटीय क्षेत्र प्रमुख रूप से उनके संपर्क में थे। दो शताब्दी पूर्व भी भारत से अरब देशों को निर्यात होता था और अरब देशों के बाजारों में भारतीय मसाले सामान्य रूप से उपलब्ध रहते थे। आपसी संबंधों का आदान प्रदान सांस्कृतिक क्षेत्र में भी था। 

कार्यक्रम कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में प्रो मसूद आलम एवं डॉ आयशा शहनाज फातिमा ने स्वागत भाषण दिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ अब्दुल हफीज द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में प्रो फखरे आलम, प्रो सोबान सईद, प्रो मुशीर हुसैन सिद्दीकी, डॉ सईद बिन मखशिम, डॉ मुहम्मद अकमल शादाब और डॉ आजम अंसारी सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।


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