राज्यपाल ने पद्म पुरस्कार से अलंकृत किया

 

प्रदेश के महानुभावों का सम्मान

लखनऊ

‘एक पत्रकार ने पूछा कि आपको नये-नये विचार एवं परम्पराओं को आगे बढ़ाने के आइडिया कौन देता है। मैंने कहा कि मुझे कोई आइडिया नहीं देता बल्कि मैं स्वयं विचार करता हूँ। इस बात को लेकर मैंने यह विचार किया कि अब तक मेरे द्वारा ऐसे कौन-कौन से कार्य किये गये हैं जो लोगों को लगता है कि वे नयी शुरूआत हैं। जब मैंने हिसाब लगाया तो मुझे लगा कि करीब 10 ऐसे नये कार्य हैं जिन्होंने मुझे नई पहचान दी। (1) राजभवन के दरवाजे सबके लिये खुले रखना तथा सम्बोधन में महामहिम के स्थान पर माननीय शब्द का प्रयोग करना, (2) कारगिल दिवस पर बिना बुलाये लखनऊ के मध्य कमान स्थित स्मृतिका जाकर कारगिल शहीदों को आदरांजलि देना तथा परमवीर चक्र से सम्मानित प्रदेश के वीर सैनिकों के भित्ति चित्रों का निर्माण करवाना, (3) विधायक, सांसद, मंत्री एवं राज्यपाल रहते हुये अपना वार्षिक कार्यवृत्त प्रकाशित करना, (4) डाॅ0 आंबेडकर का सही नाम लिखना, (5) लोकमान्य तिलक के अजर-अमर उद्घोष ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ की 101वी जयंती का आयोजन, (6) 68 वर्ष के बाद प्रथम बार उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस का आयोजन, (7) कुम्भ के पूर्व इलाहाबाद का पौराणिक नाम प्रयागराज करने का सुझाव, (8) विधान सभा एवं नगरीय निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा मतदान वाले क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों एवं कर्मचारियों का सम्मान, (9) कुष्ठ पीड़ितों का गुजारा भत्ता बढ़ाने तथा उनके लिये पक्के आवास बनाने का सुझाव देना एवं (10) राजभवन आकर अपने संस्मरण ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का प्रकाशन, जिसका अब तक 10 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।’


उक्त विचार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में आयोजित ‘पद्म पुरस्कार 2019’ से अलंकृत उत्तर प्रदेश के वक्तियो के सम्मान समारोह में व्यक्त किये। राजभवन में आयोजित सम्मान समारोह में पद्म पुरस्कार 2019 से सम्मानित (1) वाराणसी के राजेश्वर आचार्य को कला-हिन्दुस्तानी लोक गायकी, (2) बाराबंकी के राम सरन वर्मा को कृषि, (3) वाराणसी के डाॅ0 रजनी कांत को सामाजिक कार्य, (4) वाराणसी के  हीरालाल यादव को कला-लोक गायकी (5) वाराणसी की प्रशांति सिंह को खेल-बास्केट बाल, (6) बुलन्दशहर के भारत भूषण त्यागी को कृषि, (7) स्वर्गीय देवेन्द्र स्वरूप को साहित्य एवं शिक्षा-पत्रकारिता के लिये मरणोपरान्त, (8) लखनऊ के डाॅ0 शादाब मोहम्मद को दंत-चिकित्सा, (9) मथुरा के संत रमेश बाबा को सामाजिक कार्य-पशु सेवा, (10) लखनऊ के प्रोफेसर बृजेश कुमार शुक्ला को साहित्य एवं शिक्षा के लिये, का सम्मान किया गया है।

रमेश बाबा की ओर से उनके प्रतिनिधि सुनील सिंह, हीरालाल यादव की ओर से उनके पुत्र सत्य नारायण यादव तथा देवेन्द्र स्वरूप (मरणोपरान्त) का पुरस्कार उनकी पुत्री पुनीता अग्रवाल द्वारा सम्मान ग्रहण किया गया। इस अवसर पर मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल हेमन्त राव, पूर्व मंत्री डाॅ0 अम्मार रिजवी, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा तमाम नागरिक उपस्थित थे। 

 

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