कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में चुनाव के अहम मुद्दों पर चर्चा करेगी


कांग्रेस नेताओं ने लोकसभा चुनावों से पहले चुनाव की रणनीति पर विचार-विमर्श करने और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं गठबंधन जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में मंगलवार को मुलाकात की।

सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अहम चुनावी मुद्दों पर चर्चा शुरू की।


दांडी यात्रा की वर्षगांठ के अलावा यह प्रियंका गांधी वाड्रा की पहली आधिकारिक बैठक भी होगी जिन्हें हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कांग्रेस महासचिव का प्रभार सौंपा गया।

कांग्रेस नेताओं ने कार्यसमिति की बैठक के अहम चुनावी मुद्दों के बारे में बताते हुए कहा कि वे गठबंधन के मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि भाजपा को ‘एकजुट’ होकर हराने के लिए सीडब्ल्यूसी पार्टी अध्यक्ष को प्रमुख राज्यों में समान विचारों वाली अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए अधिकृत कर सकती है।

उन्होंने बताया कि पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भी चर्चा कर सकती है और किसी भी तरह के आतंकवाद की निंदा के लिए एक प्रस्ताव भी पारित करेगी।

कांग्रेस कार्य समिति की पूरे दिन चलने वाली यह बैठक इस लिहाज से भी अहम है कि चुनावी कार्यक्रम की घोषणा के महज दो दिन के भीतर यह हो रही है।

लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति को अंतिम रूप देने के अलावा पार्टी सरकार की “विफलताओं” एवं “अधूरे वादों” को लेकर मोदी एवं भाजपा से जवाब मांगेगी।

राहुल गांधी, सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता सुशासन, कृषि एवं आर्थिक संकट, बेरोजगारी एवं रोजगार सृजन का अभाव, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं महिला सुरक्षा के मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी एवं उनकी सरकार को घेरने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

पार्टी इस बात पर कायम है कि आम चुनावों के लिए राष्ट्रीय विमर्श को वर्तमान शासन के “प्रचार” हथकंडों की बजाए वास्तविक मुद्दों एवं लोगों के सामने आ रही समस्याओं की तरफ मोड़ना होगा।

सूत्रों ने कहा कि पार्टी कार्यसमिति की बैठक संपन्न होने के बाद इन सभी मुद्दों पर एक बयान जारी करेगी।

कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पार्टी को प्रधानमंत्री से पांच साल पहले किए गए वादों पर और उनके शासन के ट्रैक रिकॉर्ड पर जवाब मांगने की जरूरत है।


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