मवेशी दर-दर भटकने को मजबूर कब मिलेगा आशियाना

 


वर्तमान समय बाराबंकी जनपद की तहसील रामनगर क्षेत्र के अंतर्गत पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत रामनगर एवं ब्लॉक सूरतगंज व रामनगर के गांवों में मवेशी दर-दर भटक रहे है लेकिन शासन प्रशासन की ओर से अभी तक गौशाला मे उन्हें नहीं पहुंचाया आखिर कब इन्हें मिलेगा आशियाना। मालूम हो कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत रामनगर में गौशाला न होने के कारण मवेशी  मोहल्ले की सड़कों गलियों घरों के आसपास दर-दर भटकने को मजबूर है। जिसके कारण लोगों के समक्ष बहुत बड़ी समस्या खड़ी बनी हुई है। राहगीरों के आवागमन में काफी बाधाएं पहुंच रही हैं। यहां तक की प्रतिदिन छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल जाने में भी काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है आए दिन कोई न कोई बच्चा चोटिल भी हो जा रहा है। कुछ क्षेत्र के बच्चे तो इन पशुओं की डर में स्कूल जाना ही बंद कर दिया है। इसके अतिरिक्त क्षेत्र का संवाददाता द्वारा भ्रमण करने पर तहसील क्षेत्र के गांव मीतपुर निवासी भगतराम लोहटी पसई निवासी रामधन मड़ना निवासी भोला यादव एवं अशोक कुमार अवस्थी लहड़रा  निवासी छोटेलाल महादेवा निवासी ननकू गली निवासी भोला प्रसाद अब्राहिम पुर निवासी पवन तिलोक पुर निवासी सुशील कुमार बिछड़खा निवासी राम तीरथ सीहामऊ निवासी संतोष कुमार इत्यादि लोगों ने संवाददाता से बताया कि क्षेत्र में मवेशियों का आतंक बहुत ही ज्यादा बढ़ता ही जा रहा है लेकिन अभी तक सरकार द्वारा आम जनता की सुरक्षा के लिए कोई उचित रास्ता नहीं निकाला गया है। मवेशी गांव की गलियों गलियों में टहल घूम रहे। रामपुर महा सिंह निवासी विश्राम यादव ने बताया कि हम सभी गांव वासियों को फसल को बचाने के लिए दिन एवं रात में अपने घरों को छोड़ कर खेत की रखवाली करना पड़ रहा है। जिससे पूरी नींद भर सो नहीं पा रहे हैं जिससे शरीर मे पूरी नींद न होने के कारण तरह-तरह की बीमारियां भी बढ़ने की आशंका बन गई है। बड़नपुर निवासी पूर्व प्रधान समाजसेवी गया प्रसाद शर्मा ने बताया कि कुछ दिन पूर्व लोधेश्वर महादेवा की पावन धरती पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी आए तो उन्होंने कहा था कि जल्द ही गौशाला का निर्माण होगा लेकिन अभी तक क्षेत्र में गौशाला का निर्माण पूर्ण नहीं किया गया। आखिर कब बनकर तैयार होगा और मवेशी अपना आशियाना पाएंगे। सबसे जटिल समस्या यह है कि किसान अपनी फसल की सुरक्षा करने के लिए खेत के चारों  तरफ  आरी की पत्ती लोहे के कटीले तार लगा रखे है। मवेशी  अपनी भूख को मिटाने के लिए खेत में जाते वक्त इन तारों में फँसकर घायल हो जा रहे हैं उचित इलाज न मिलने के कारण ये  तड़प तड़प कर काल के गाल में समा जा रहे हैं। जिसके कारण गांव के आसपास सड़कों गलियो  तालाबों के किनारे दुर्गंध फैली रहती है। इसके अतिरिक्त क्षेत्र के किसानों में चर्चा का विषय बना है कि यदि इस  जटिल समस्या से निजात नहीं मिला तो आगामी लोकसभा चुनाव में इसका असर  देखने को मिलेगा।बीते दिनों इस समस्या से संबंधित  कई खबरें सुभारती मीडिया दैनिक प्रभात  छापी गई लेकिन जिम्मेदार लोगों के द्वारा उचित कार्यवाही नहीं हुई। मवेशियों की सुरक्षा के लिए जो गौशाला बनवाए भी गए उन्हें उचित व्यवस्था न होने के कारण मवेशी काल के गाल में समा रहे हैं। समाचार पत्रों में छापी गई खबरों  से स्पष्ट हो रहा है कि ये गौशाला मृत शालाओं में परिवर्तित हो रही हैं जो सोचनीय  है। चिंता का विषय यह है कि क्या शासन प्रशासन जानवरों की सुरक्षा एवं फसल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गौशाला का निर्माण कराएगी या मवेशी इसी तरह दर-दर भटक कर के काल के गाल में समाते रहेंगे। सवाल बड़ा-----।


 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाषा विश्वविद्यालय में परीक्षा को नकल विहीन बनाने के लिए उठाए गये कड़े कदम

यूपी रोडवेज: इंटर डिपोज क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में कैसरबाग डिपो ने चारबाग डिपो को पराजित किया

भाजपा की सरकार ने राष्ट्रवाद और विकास को दी प्राथमिकताः नीरज शाही