कोरोना काल में बढ़ेगा कुपोषण का प्रभाव
(सोनम लववंशी स्वतंत्र लेखिका) लखनऊः 01 सितम्बर, 2020 कोरोना वायरस दिन दूनी रात चैगुनी के साथ विस्तार ले रहा है। इस वायरस के बढ़ते आंकड़ो ने न केवल हमारी जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लगाया है बल्कि हमारी दिनचर्या को भी काफी हद तक प्रभावित किया है। आज हर व्यक्ति पौष्टिक आहार और अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतित नजर आ रहा है। एक कहावत है- यथा अन्नम तथा मन्नम... जैसा अन्न हम खाते है, वैसा ही हमारा मानसिक और भौतिक विकास भी होता है। वर्तमान समय में न ही पोष्टिक अन्न मिल रहा है और न ही मानसिक सुकून मिल रहा है। आज खाने की वस्तुओं में पोषक तत्वों से कही अधिक जहर की मात्रा पाई जा रही है। मिलावट के जहर ने स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। जिसके कारण कई गंभीर रोगों का खतरा बढ़ रहा है। जिनमें कुपोषण सबसे गंभीर समस्या बन हुआ है। पोषण शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के लिए 1982 में केंद्र सरकार ने पहली बार राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की शुरुआत की थी। राष्ट्रीय विकास में सबसे बड़ी बाधा कुपोषण ही है। इसके प्रति जागरूकता फैलाने तथा देश को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए ही प्रति वर्ष पोषण सप्ताह मना