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मुख्यमंत्री का निर्णय स्वागत योग्य: पंजीरी माफियाओं का एकाधिकार समाप्त: गिरीश पांडेय

  लखनऊ: 07 अक्तूबर, 2020 महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ उ0प्र0 के अध्यक्ष एवं हिन्द मजदूर सभा के राष्ट्रीय सचिव गिरीश पाण्डेय की अध्यक्षता में संघ के साथ एक बैठक लोहिया मजदूर भवन नरही, लखनऊ में किया गया जिसमें उन्होंने पंजीरी माफियाओं का वर्षों से चले आ रहा वर्चस्व एवं लूट-खसोट को समाप्त करने पर मुख्यमंत्री को बधाई दिया। नई व्यस्था लागू करने से विभाग में वर्षों से व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने में मदद मिलेगी जिससे विभाग की छवि भी बदलेगी और लाभार्थियों को बेहतर लाभ मिलेगा। इस निर्णय से पोंटी चड्ढा, खण्डेलवा व अग्रवाल की कंपनियों का 29 साल से चला आ रहा एकाधिकार भी समाप्त हो गया है जो अतिस्वागत योग्य है। इसी क्रम में श्री पाण्डेय ने यह भी कहा कि संगठन द्वारा सरकार एवं शासन से हुई पिछले वार्ता में आंगनबाड़ी महिलाओं का 65 साल पर सेवा निवृत्त का आयु रखा गया है लेकिन शासन के अधिकारियों द्वारा 62 साल के उम्र में सेवा निवृत्त किये जाने का आदेश निर्गत किया गया है। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री से संगठन ने अनुरोध किया कि सरकार द्वारा हुए समझौतो के अनुसार सेवा निवृत की आयु 65 वर्ष करते हुए ग्रेच्यु

युपी: हाथरस के बहाने दंगा फैलाने की साजिश के लिए हुई थी 100 करोड़ की फंडिंग

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हाथरसः 07 अक्टूबर, 2020  गैंगरेप की कथित घटना के बहाने दंगे फैलाने की साजिश को लेकर ‘‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया‘‘ का नाम सामने आ रहा है। सूत्रों के अनुसार यूपी में जातीय दंगे फैलाने के लिए 100 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली थी, इसमें से 50 करोड़ मॉरिशस से आए थे। यह वही संगठन है जिसका नाम दिल्ली में हुए दंगों में भी आया था। दिल्ली से हाथरस जा रहे 4 कार्यकर्ता मंगलवार रात मथुरा में पकड़े गए थे। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इनके पास 6 स्मार्टफोन, एक लैपटॉप, ‘‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम‘‘ और कुछ पम्पलेट मिले थे। स्थानीय कोर्ट ने चारों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि दंगे फैलाने और फिर बचकर भागने के टिप्स बताने वाली वेबसाइट से भी चारों आरोपियों का कनेक्शन है। यह भी पता चला है कि कुछ लोग वेबसाइट के जरिए फंड जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। इनसे जुड़े संगठन और कार्यकर्ता भीड़ जमा करने, अफवाह फैलाने, चंदा जुटाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की आड़ में देश विरोधी काम करते हैं।इनके जरिए भारत के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है। जैसे मॉब लिंचिंग की घटना का दुष्प्

अभिभावकों की लिखित अनुमति से ही छात्रों को स्कूल भेजा जा सकेगाः जिलाधिकारी

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लखनऊः 07 अक्टूबर, 2020 जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट स्थित डा0 एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में कोविड-19 के कारण विभिन्न बोर्ड से संचालित वित्तविहीन मान्यता प्राप्त विद्यालयों एवं अभिवावकों की समस्याओं एवं भविष्य में विद्यालय संचालन में बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिगत बैठक का आयोजन किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि कोविड-19 के प्रोटोकाल को दृष्टिगत रखते हुए शासन द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार ही अभिभावक के लिखित सहमत से ही स्कूल खोले जायें। उन्होंने कहा कि आनलाइन द्वारा कक्षायें प्राथमिकता के आधार पर चलती रहें। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में कक्षा 10 व 12 के विद्यालय, द्वितीय चरण में कक्षा 9 व 11 खोले जाएं। तृतीय चरण में फीड बैक आने के बाद छोटे बच्चों के विद्यालय खोलने का निर्णय लिया जायेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रत्येक विद्यालयों में एक मेडिकल रूम बनाया जायें, जिसमें दो बेड हो, चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध होने के साथ ही चिकित्सीय जानकारी रखने वाली व्यक्ति उपस्थित रहें। सैनेटाइजर की व्यवस्था हो, प्रत्येक छात्र के कक्षा में आने व जाने के समय पल्स आक्सी

खुद की तकदीर लिखने के लिए आधी आबादी को आगे आना होगा: सोनम लववंशी

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                                                                सोनम लववंशी (स्वतंत्र लेखिका) भोपालः (मध्य प्रदेश) 07 अक्टूबर, 2020 महिलाएं देश की आधी आबादी हैं। महिलाओं के बिना किसी भी राष्ट्र की तरक्की और उन्नति की कल्पना करना बेमानी लगता है। फिर इक्कीसवीं सदी के भारत में चंद महिलाएं ही क्यों पुरुष-प्रधान समाज के साथ कंधा मिलाकर चल पाने में सक्षम हो पाती हैं? क्या कारण है कि जब भी दुर्दशा जैसे शब्द जुबां पर आते हैं, तो इक्कीसवीं सदी के भारत में ‘महिलाओं की दुर्दशा‘ का शब्द स्वतः प्रस्फुटित हो उठता है? संविधान कहता समता हो। फिर समाज कैसे उसकी बातों को दरकिनार कर जाता है? इतना ही नहीं संविधान की कसमें खाने वाले कैसे मुकर जाते समता के अधिकार को अमलीजामा पहनाने से? सवाल तो जीवंत और कालजयी हैं, लेकिन उत्तर देने वाला कोई नहीं। दुःखद तो बस इतना ही है। वैसे देखा जाए तो महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का लोहा मनवाया है, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में आज भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद ही कम है। जो दुःखद कहानी है। ये बात अलग है कि चुनाव आते ही सभी राजनीतिक दल महिला आरक्षण और महिला उत्थान की

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का चरणबद्ध तरीके से होगा क्रियान्वयन : कलराज मिश्र

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>   राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 पर 21 से होगा कुलपति संवाद >   राज्यपाल की अध्यक्षता में उच्च शिक्षा टास्क फोर्स की बैठक जयपुर : 07 अक्टूबर, 2020  राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्थाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए शिक्षा में गुणवत्ता, नवाचार और अनुसंधान को बढावा देने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा के लिए आवश्यक राष्ट्रीय भावनाओं और बारिकियों का समावेश परिलक्षित हो रहा है। राज्यपाल ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 का चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन किया जायेगा। श्री मिश्र मंगलवार को यहां राजभवन से वीडियो कान्फ्रेन्स के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के क्रियान्वयन के लिए आयोजित टास्क फोर्स की विशेष बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि राज्य में उच्च शिक्षा की चुनौतियों और कोविड-19 के दौरान विश्वविद्यालयों में अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था हेतु राज्यपाल कलराज मिश्र की पहल पर 10 अप्रेल, 2020 को टास्क फोर्स का गठन किया गया था। इस टास्क फोर्स की बैठकें लग

एकेटीयूः वर्चुअल कैम्पस ड्राइव में 19 लाख के पैकेज पर एक दिव्यांग विद्यार्थी का चयन

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लखनऊः 06 अक्टूबर, 2020  डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक के प्रयास से एकेटीयू में दिव्यांग जनों हेतु आयोजित अमेजन कम्पनी की वर्चुअल कैम्पस ड्राइव में 19 लाख के पैकेज पर एक दिव्यांग विद्यार्थी का चयन हुआ। अमेजन की यह वर्चुअल प्लेसमेंट ड्राइव विवि के डॉ अम्बेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर हैंडीकैप, कानपुर के दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए आयोजित की गयी थी। इस वर्चुअल ड्राइव में ड्राइव कुल 19 दिव्यांग विद्यार्थी शार्टलिस्ट हुए थे, जिसमें से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग 2020 बैच के आरिफ खान, का चयन हुआ है।   कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने कहा कि विवि की यूनिवर्सिटी इंडस्ट्री इंटरफेस सेल द्वारा लगातार वर्चुअल ड्राइव आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि द्विव्यांग जनों हेतु अच्छी कंपनियों में जॉब के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए विवि द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।    

बिजली कर्मचारियों के हड़ताल से देवरिया शहर अंधेरे व गर्मी से बेहाल

देवरिया: 05 अक्टूबर, 2020, 9.19pm बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा निजीकरण के विरोध में 5 अक्टूबर के हड़ताल को लेकर जिला प्रशासन द्वारा किया गया वैकल्पिक व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गया है और पूरा शहर अंधेरे में डूब गया है।    बिजली कर्मचारियों द्वारा प्रस्तावित हड़ताल के मद्देनजर जिला प्रशासन ने बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर बिजली कटौती से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की थी। लेकिन तमाम व्यवस्थाओ के बावजूद दिन में 11बजे से कटी बिजली अभी तक नहीं आई। और पूरा शहर अंधेरे और गर्मी से बेहाल हो गया है।