अर्जित ज्ञान का उपयोग लोकहित और राष्ट्रहित के लिए करना चाहिएः आनंदीबेन पटेल

 एकेटीयूः 19 वां दीक्षांत समारोह का आयोजन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में किया गया

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के 19वें दीक्षांत समारोह में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक प्रगति कर रहा है। स्वरोजगार परक शिक्षा की अवधारणा को मूर्तरूप देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा 15 राजकीय एवं अनुदानित संस्थानों में इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित किये जाने का कार्य किया जा रहा है। साथ ही विश्वविद्यालय के अकादमिक परिसर में इन्यूबेशन हब की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रोफेशनल डिग्री प्राप्त करने का उद्देश्य सिर्फ नौकरी पाना नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अर्जित ज्ञान का उपयोग लोकहित और राष्ट्रहित के लिए करने की प्रेरणा लेनी चाहिए। महिलाए सशक्त हो रही हैं। महिलाएं स्वालम्बी बन रही हैं और कुशलता पूर्वक परिवार का संचालन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जो गाँव हमने गोद लिए हैं वहां जाकर महिलाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जागरुक करना चाहिए। 

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा उत्तर प्रदेश शासन की लोकप्रिय योजना से विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए एक जनपद एक उत्पाद के क्रम में हैकाथान आयोजित की जा रही है। इसके साथ ही युवाओं के समावेशी विकास के लिए विभिन्न बूटाथान का भी आयोजन किया जा रहा है। इंडस्ट्री-एकेडमिया कोलैबरेशन के लिए विश्वविद्यालय द्वारा कॉर्पाेरेट मेंटरशिप के लिए भी संस्थानों को प्रेरित किया जा रहा है। चौथी औद्योगिक क्रांति पूरे विश्व में आभासी सत्य को मूर्तरूप प्रदान करने का कार्य कर रही है। चिकित्सा, कृषि, परिवहन, शिक्षा और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विधाओं की समस्याओं के समाधान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग उपयोगी सिद्ध हो रही हैं। इस क्रम में विश्वविद्यालय द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज में विश्व स्तरीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब की स्थापना की गयी है। 

दीक्षांत समारोह में पद्मश्री प्रो एस.जी. धांडे बतौर मुख्य अतिथि एवं प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा अमृत अभिजात एवं सचिव, प्राविधिक शिक्षा आलोक कुमार बतौर विशिष्ट अथिति मंचासीन रहे। समारोह में 53226 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गयीं। दीक्षांत समारोह में पद्मश्री प्रो एस.जी. धांडे डॉटर ऑफ़ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की गयी। 91 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गयी। डीएससी की डिग्री डॉ सौरभ गुप्ता संयुक्त सचिव गृह मंत्रालय भारत सरकार को प्रदान गयी। 92 मेधावियों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्रदान किए किये गए। 92 पदकों में 01 चांसलर गोल्ड मैडल, 1 श्रीमती कमल रानी मेमोरियल पदक, स्नातक पाठ्यक्रमों में 16 स्वर्ण, 17 रजत, 18 कांस्य, परास्नातक पाठ्यक्रमों में 2 स्वर्ण, 2 रजत एवं 2 कांस्य पदक शामिल हैं।  साथ ही गवर्मेंट संस्थानों 12 स्वर्ण, 7 रजत एवं 7 कांस्य एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों में 5 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य शामिल है।  प्राणवीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, कानपुर  की छात्र राशि माथुर को चांसलर गोल्ड मैडल प्रदान किया किया गया। एसआर इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, लखनऊ की छात्रा सीलू गौतम को श्रीमती कमल रानी मेमोरियल पदक प्रदान किया गया। समारोह में पूर्व छात्र अंकित माहेश्वरी को डिस्टेंगुइस एल्युमिनस अवार्ड से सम्मानित किया गया।

कुलपति विनीत कंसल ने दीक्षांत समारोह में सभी का स्वागत किया

कुलपति विनीत कंसल ने दीक्षांत समारोह में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति में एमर्जिंग टेक्नोलॉजीज यथा, आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, ब्लाक चौन, रोबोटिक्स, मैकाट्रानिक्स एवं नैनो टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्व योगदान है। विश्वविद्यालय के द्वारा इन क्षेत्रों में हो रहे शोध एवं नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए इन विधाओं में सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना की गयी है। उन्होंने बताया कि गेट एवं जीपेट में बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को टेबलेट प्रदान किये गये है। प्रो कंसल ने बताया कि कोविड महामारी में अपने अभिभावकों को खोने वाले कुल 468 छात्र-छात्राओं को एक लाख की आर्थिक सहायता एवं महामारी में मृत विश्वविद्यालय के राजकीय, अनुदानित एवं निजी संस्थानों के कुल 19 शिक्षकों के परिवारीजन को पांच-पांच लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की गयी है। साथ ही विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने आर्थिक रूप से कमजोर टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेकर उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी ली है। 

व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा और वित्तीय ईमानदारी जैसे कारक को आत्मसात करना चाहिएः प्रो एस.जी. धांडे

मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो एस.जी. धांडे ने कहा कि कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के निर्देशन में प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा के समावेश के लिए सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं। कुलाधिपति की प्रेरणा से आंगनवाड़ियों के पुर्नवास के लिए किये जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि अनुभव जीवन में एक महान शिक्षक है। उन्होंने कहा कि एक महत्वपूर्ण पहलू मानवीय मूल्यों और नैतिकता की नींव का है। दुनिया अब बहुत जटिल है। भटकाव अधिक हैं। आपके आसपास कई मोहक और खतरनाक रास्ते हमेशा झिलमिलाते रहते हैं। व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा और वित्तीय ईमानदारी कुछ मुख्य कारक हैं जिन्हें इस दुनिया में आत्मसात करने की आवश्यकता है। 

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को छात्रों को मेजर और माइनर स्पेशलाइजेशन के विकल्प दिए जाने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति का पेशेवर जीवन काल अब 40 से 45 वर्ष है। इस लंबी अवधि के दौरान, प्रौद्योगिकी में परिवर्तन होता है और उच्च शिक्षा में चार साल की शिक्षा अपर्याप्त रहती है। इसलिए, बहु-विषयक के साथ-साथ जीवन भर सीखने वाले व्यक्तित्व बने रहना आवश्यक है। प्रो धांडे ने कहा कि विश्वविद्यालय के आचार्यों को प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में जाकर विशेष व्याख्यान लेने चाहिए। 

कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत में पधारे बच्चों को पुस्तकें और पोषण किट प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पीके तिवारी ने किया। समारोह में विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी जीपी सिंह, कुलसचिव नन्द लाल सिंह एवं समस्त अधिष्ठाता, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और 500 से अधिक उपाधिधारक विद्यार्थी उपस्थित रहे। 

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