दीक्षान्त समारोह: विद्यार्थी आत्मनिर्भरता, उद्यमशीलता और स्व-रोजगार की संस्कृति को आत्मसात करेंः आनंदीबेन पटेल

 किसानों तक नई तकनीक की जानकारी उपलब्ध हो

शून्य लागत खेती एवं प्राकृतिक खेती के लिए वैज्ञानिक और कृषि शिक्षा से जुड़े विद्यार्थी किसानों को प्रेरित करने की जरूरत

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। उत्तर प्रदेश की राज्यपपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आज आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के 23वें दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा-दीक्षा के बाद विद्यार्थी के नव जीवन की शुरूआत होती है। विद्यार्थीयों को इस विश्वविद्यालय से अर्जित ज्ञान को देश और समाज के हित में समर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही आत्मनिर्भरता, उद्यमशीलता और स्व-रोजगार की संस्कृति को आत्मसात करना चाहिए। अपने आस-पास के वातावरण से सीखना भी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग है। इस अवसर पर राज्यपाल ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों छात्र-छात्राओं को 25 स्वर्ण पदक तथा 498 उपाधियां वितरित कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। राज्यपाल ने कहा कि विश्व स्तर पर तेजी से बदल रही तकनीकी, व्यवसायिक और सामाजिक परिदृश्य के साथ तालमेल रखने के परिप्रेक्ष्य में कृषि शिक्षा प्रणाली में निरन्तर बदलाव की आवश्यकता है। इस दृष्टि से हमारे विद्यार्थी मात्र डिग्री धारक नहीं, बल्कि उनका विकास व्यवसायिक कृषि विशेषज्ञ की तरह हो, जिससे कि वे वर्तमान एवं भविष्य में आने वाली विषम परिस्थितियों का मुकाबला करने में अपने को सक्षम सिद्ध कर सकें। 

उन्होंने कहा कि आज खेती की लागत में निरन्तर वृद्धि हो रही है लेकिन कृषि में मशीनीकरण की पहुंच अभी बहुत कम है। राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालयों से अपील की कि वे प्रदेश के किसानों तक नई तकनीक की जानकारी उपलब्ध कराने में अपनी भूमिका निभाएं।

राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार प्रायोगिक कृषि शिक्षा पर जोर दे रही है, जिससे कि कृषि स्नातक किसानों की आय दोगुनी करने में अपना वांछित योगदान कर सकें। प्रायोगिक कृषि शिक्षा के अन्तर्गत विश्वविद्यालय स्तर पर उद्यमिता विकास पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय शिक्षण एवं शोध कार्यों के अतिरिक्त शोध उपलब्धियों को किसानों के खेतों तक पहुंचाएं तथा उन्हें प्रेरित करें। राज्यपाल ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय ऐसे पाठ्यक्रम बनाएं जो किसानों के अनुभव व पारम्परिक ज्ञान पर आधारित हों।

राज्यपाल ने कहा कि शून्य लागत खेती के लिये जरूरी है कि बीज, जैविक खाद एवं कीटनाशक स्वयं कृषक अपने खेतों में तैयार करें। इस विधि से खेती करने पर न केवल कृषि लागत में कमी आयेगी, बल्कि कृषि उत्पादकता में भी वृद्धि होगी। उन्होंनें कहा कि जीरो बजट गौ आधारित खेती एवं प्राकृतिक खेती के बारे में हमारे वैज्ञानिक और कृषि शिक्षा से जुड़े विद्यार्थी किसानों को प्रेरित करें। कुलाधिपति ने नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि इस नीति में पुस्तकीय ज्ञान के साथ ही विद्यार्थियों को स्कूल और उच्च शिक्षा में व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के पाठ्यक्रमों से दीक्षित किए जाने पर जोर दिया गया है।

राज्यपाल ने इस अवसर पर प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पुस्तकें, बैग एवं मिष्ठान वितरित किया तथा पूर्व कुलपति डॉ कीर्ति सिंह को डीएससी की मानद उपाधि दी। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक डॉ मंगला राय, कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्यमंत्री लाखन सिंह राजपूत, कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल के पूर्व अध्यक्ष डॉ कीर्ति सिंह, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बिजेन्द्र सिंह, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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