विधानसभा सत्र: मुख्यमंत्री ने विधान सभा सदस्य सुखदेव राजभर, सीडीएस बिपिन रावत एवं अन्य सैन्य कर्मियों के निधन पर दी श्रद्धांजलि

 अखिलेश पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज सत्र की कार्यवाही शुरू होने पर सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन के सदस्य तथा पूर्व विधान सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर तथा कुन्नूर, तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी धर्मपत्नी मधुलिका रावत एवं अन्य सैन्य कर्मियों के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना भी व्यक्त की।

सदन में मुख्यमंत्री ने कहा कि सुखदेव राजभर का निधन हम सबके लिए दुःखद है। राजनीतिक क्षेत्र में उनका दीर्घ अनुभव था। वर्ष 1991, 1993, 2002 एवं 2007 में विधान सभा क्षेत्र लालगंज तथा वर्ष 2017 में विधान सभा क्षेत्र दीदारगंज, जनपद आजमगढ़ से वह बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुए। श्री राजभर एक जनप्रिय नेता थे। वह सादगी, सरलता एवं कर्मठता के लिए जाने जाते थे। अपने क्षेत्र के विकास एवं जनकल्याण के लिए वह आजीवन समर्पित रहे। श्री राजभर वर्ष 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष रहे। उन्होंने विभिन्न विभागों के मंत्री पद के दायित्व का भी कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। वर्तमान विधान सभा में वह अधिष्ठाता मण्डल के सदस्य थे। वह विधान सभा एवं विधान परिषद की विभिन्न समितियों के सदस्य भी रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में जनरल बिपिन रावत ने भारत की तीनों सेनाओं को आधुनिक युद्ध की चुनौतियों से निपटने, उनमें सामंजस्य को संस्थागत रूप देने एवं रक्षा जरूरतों के अनुरूप सेना को आधुनिक रूप प्रदान करने की दिशा में ठोस कार्य किये। वह साहसिक व सटीक फैसले लेने के लिए विख्यात थे। जनरल रावत ने अपनी कुशल सैन्य रणनीतियों के माध्यम से म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट में एयर सर्जिकल स्ट्राइक तथा पूर्वाेत्तर भारत के उग्रवाद को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभायी। जनरल बिपिन रावत 1 जनवरी, 2020 से देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के महत्वपूर्ण पद पर आसीन थे। जनरल रावत ने कश्मीर में राष्ट्रीय रायफल्स का नेतृत्व किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में भी अपना अमूल्य योगदान दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनरल बिपिन रावत दिसम्बर, 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट हुए थे और उन्हें 11वीं गोरखा रायफल की 5वीं बटालियन में सेकेण्ड लेफ्टिनेंट के पद पर पहली तैनाती मिली थी। उनके पास विभिन्न सैन्य सेवाओं का लगभग 40 वर्षाें का उत्कृष्ट अनुभव था। जनरल बिपिन रावत को सेना के परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक एवं सेना पदक से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा कि जनरल बिपिन रावत के निधन से भारतीय सेना एवं देश को अपूरणीय क्षति हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत सत्र और वर्तमान सत्र के बीच कई साथी हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने उन सभी के प्रति भी अपनी एवं सदन की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की तथा शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना भी व्यक्त की।


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