विधान मण्डल के शीतकालीन सत्र में 847953 का अनुपूरक बजट पास

 अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान पक्ष एवं विपक्ष में तिखि नोक झोंक हुयी

अखिलेश पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार

लखनऊ (नागरिक सत्ता)। सत्रहवीं विधानसभा के अंतिम सत्र के अंतिम दिन 847953 लाख का अनुपूरक बजट विधान सभा में पास किया गया। अनुपूरक बजट का आशय किसी एक वित्तीय वर्ष में स्वीकृत किए गये बजट की धनराशि से कम पड़ती है तो विधान मण्डल के समक्ष सरकार द्वारा धन की कमी को पूरा करने के लिए अनुपूरक बजट की मांग करता है। जिसपर पक्ष एवं विपक्ष चर्चा करते हैं तत्पश्चात पूर्ण बहुमत मिलने पर बजट पास किया जाता है। इस बार सरकार ने विधान मण्डल के शीतकालीन सत्र में वर्ष 2021-22 के लिए अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया था। जिसपर कई मुदृदों को लेकर सरकार और विपक्ष में तीखी नोंकझोक हुयी। 

रामगोबिन्द चौधरी ने राज्यकर्मचारियों एवं शिक्षकों को पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की मांग की

नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चौधरी ने राज्यकर्मचारियों एवं शिक्षकों को पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की सदन में मांग की। नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा के कर्मियों का मानदेय बढाए जाने की भी मांग की। पेंशन बहाली के मुद्दे का समर्थन करते हुए नेता बसपा उमाशंकर सिंह कुशवाहा ने कहा कि जिस तरह सांसदों, विधायको को पेंशन दी जा रही है उसी तरह राज्यकर्मचारियों एवं शिक्षकों को 1 जनवरी 2004 के पहले की पेंशन व्यवस्था लागू की जाए या सांसदों, विधायको को भी 1 जनवरी 2004 के बाद लागू पेंशन व्यवस्था के दायरे में लाया जाए। अनुपूरक अनुदान पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चौधरी ने कहा कि बजट का ऐतिहासिक महत्व होता है। इससे पूर्व सरकार द्वारा जो भी बजट पेश किए वे पूरी तरह से खर्च नही हो पाए हैं तो इस अनुपूरक अनुदान की क्या आवश्यक्ता है। पिछले तीन स़़त्रों से केवल कोरोना पर ही बहस हो रही है। जितने लोग यूपी में कोरोना से मरे हैं संभवत उतने किसी प्रदेश में नहीं मरे हैं। गांव-गांव शहर-शहर शमशान बन गए लोग शवों को नदी में फेंकने लगे स्थिति इतनी भयावह हो गई हो थी कि लोग शवों से कफन तक चुराने लगे थे बावजूद इसके राज्य सरकार कोरोना के कुशल प्रबंधन पर अपनी पीठ ठोंकने से बाज नहीं आ रही है। 

कानून-व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में गुंडई चरम पर हैं साढ़े चार साल में अपराधियों माफियाओं और आराजक तत्वों की बीजेपी शरण स्थली बन गई। बीजेपी में अपराध और अपराधी दोनों बढ़े, सरकार का पूरा कार्यकाल हिन्दु और मुसलमान कराने में ही बीत गया। सरकार ने अपनी हनक केवल झूठ बोलने में कायम की, पंचायत चुनाव में जो बेईमानी हुई वह किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने कहा कि पांच साल के कार्य काल को अगर दो लाइनों में कहा जाए तो सोच बेइमान और काम दागदार ही रहा है। 

श्री चौधरी ने कहा कि महिलाओं का जितना अपमान इस सरकार में हुआ पहले कभी नहीं हुआ। भाजपा के विधायक व कार्यकर्ता तक अपनी प्रतिष्ठा नहीं बचा पाए। सरकार की कार्यशौली पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट तक को तल्ख टिप्पणी करनी पड़ी, सरकार अपनी विफलता का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ रही है। उन्होंने याद दिलाया कि 2012 में सत्तारूढ़ होने के बाद अखिलेश यादव ने घोषणा पत्र में किए गए वायदों को साढ़े तीन साल में ही पूरा कर दिया था। 

बसपा नेता उमाशंकर सिंह ने कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरा

अनुपूरक अनुदान पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए बसपा विधान मंडल दल के नेता उमाशंकर सिंह ने कहा कि कानून-व्यवस्था के मामले में मायावती सरकार के कार्यकाल को लोगा आज भी भूले नहीं है। मौजूदा सरकार में कानून-व्यवस्था को लेकर जो बढ-़चढ़कर दांवे किए जा रहे हैं वह कपोल कल्पित हैं। माया सरकार में हुंई नियुक्तियों में भी पूरी पारदर्शिता बरती गई, साथ ही उन्होंने बलिया में रसड़ा क्षेत्र में छः साल से बंद चीनी मिल के अब तक शुरू न होने का मामला उठाया। 

आराधना मिश्रा मोना ने गन्ना किसानों के बकाए के भुगतान की मांग उठाई

कांग्रेस विधान मंडल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि अनुपूरक बजट झूठे वायदे किए गए कागज पर बजट बना और कागज पर ही खत्म हो गया। गन्ना किसानों पर आज भी आठ करोड़ से ज्यादा बकाया है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। बेटियां महफूज नही है। 

सुहेल देव भारत समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि पांच साल में केवल वायदे पर वायदा किया गया अनुपूरक अनुदान पर अपने पूर्ववर्ती दलीय नेताओं द्वारा रखे गए विचारों से अपने को संबदृ करते हुए राजभर ने कहा कि लोगों को नौकरी की जगह लाठियां मिल रही है जाति पूछकर मुकदमें कायम हो रहे है पुलिस उत्पीड़न कर रही है। 

अपना दल एस की नेता लीना तिवारी ने वित्त मंत्री द्वारा रखे अनुपरूक अनुदानों का समर्थन करते हुए सरकार के प्रति आभार जताया। 

दलीय नेताओं द्वारा की गई चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय कार्य व वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि यूपी में अब निवेशकों को अनुकूल माहौल मिल रहा है। इस सरकार ने गरीबों के इलाज में सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से लोगों की आर्थिक मदद की गई। उन्होंने दांवा किया कि कोरोना काल में सीमित संसाधनों के बावजूद अन्य राज्यों के अपेक्षा यूपी में सबसे कम मौते हुई। विपक्ष द्वारा यदि वैक्सीन को लेकर गुमराह न किया गया होता तो शायद इतनी मौते नहीं होती। सदन में उप्र विनियोग विधेयक 2021 और वित्तीय वर्ष 2022-23 के अप्रैल, मई, जून, जुलाई के लिए उप्र विनियोग लेखानुदान विधेयक 2021 को पारित किया गया। 

 


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